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जल संकट का असर, जल्द ही ‘केप टाउन’ बनने वाला है बेंगलुरु! 

सीएसई की रिपोर्ट में दुनिया भर के शहरों में पानी की किल्लत को लेकर चेतावनी जारी की गई है.

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यूनाइटेड नेशंस की तरफ से हर साल 22 मार्च का दिन दुनियाभर में विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है. मौजूदा समय में दुनिया के कम से कम 200 शहर पानी की गंभीर किल्लत से जूझ रहे हैं. बेंगलुरु समेत 10 बड़े शहर तेजी से 'डे जीरो' की तरफ बढ़ रहे हैं.

'डे जीरो' वो स्थिति होती है, जब पानी की टोंटियों से पानी आना बंद हो जाता है. ऐसे में अगर हम अभी से इस समस्या के प्रति गंभीर नहीं हुए, तो हालात बद से बदतर हो सकते हैं.

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सामने आई चिंताजनक रिपोर्ट

सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरमेंट (सीएसई) की पत्रिका 'डाउन टू अर्थ' में शहरों में पानी की कमी को लेकर एक रिपोर्ट छापी गई है. इस रिपोर्ट में दुनिया भर के शहरों में पानी की किल्लत को लेकर चेतावनी जारी की गई है. ये चौंकाने वाली रिपोर्ट विश्व जल दिवस से एक दिन पहले सामने आई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि बेंगलुरु की हालत दक्षिण अफ्रीकी शहर केप टाउन जैसी हो सकती है. केप टाउन की तरह ही बेंगलुरु में भी जलस्तर तेजी से घट रहा है. कुछ ही सालों या फिर कुछ ही महीनों में यहां पानी की भयंकर समस्या पैदा हो सकती है. यहां 'डे जीरो' को रोकने की कोशिश होगी, जिसके तहत शहर के सभी टोंटियों को बंद करके पानी बचाया जाएगा.

सीएसई की रिपोर्ट में दुनिया भर के शहरों में पानी की किल्लत को लेकर चेतावनी जारी की गई है.
केप टाउन पानी की भारी किल्लत से जूझ रहा है
(फोटो: Reuters)
केप टाउन दक्षिण अफ्रीका के समृद्ध शहरों में से एक है, लेकिन फिलहाल ये शहर पानी किल्लत को लेकर अब तक के सबसे खराब दौर से गुजर रहा है. वहां प्रशासन ने ऐलान कर दिया है कि इस साल जून-जुलाई में शहर की टोंटियों में पानी आना बंद हो जाएगा. इस दौरान पूरे शहर में करीब 200 वॉटर कलेक्शन प्वाइंट बनाए जाएंगे, जहां से प्रत्येक व्यक्ति को रोजाना 25 लीटर पानी मिलेगा. हर कलेक्शन सेंटर पर पुलिस और सेना के जवान मौजूद रहेंगे.
सीएसई की रिपोर्ट में दुनिया भर के शहरों में पानी की किल्लत को लेकर चेतावनी जारी की गई है.
“चाहे केपटाउन हो, बेंगलुरु हो या चेन्नई, इन शहरों में खास अंतर नहीं है. इन सबकी समस्या एक जैसी है. जरूरी सवाल यह है कि क्या ये शहर एक नया और सुरक्षित भविष्य बना पाएंगे, जहां पानी की समस्या ना हो. इस रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 30 सालों में बेंगलुरु में कुओं की सख्या 5,000 से सीधे 4.5 लाख पहुंच गई है.”
- सुनीता नारायण, डायरेक्टर, सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरमेंट

मंडरा रहा है खतरा

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है, 'गैरयोजनागत तरीके से बस रहे शहरों में ग्राउंड वॉटर को रीचार्ज किए जाने का काम नहीं हो रहा है. बेंगलुरु अपने हिस्से के महज आधे पानी को दोबारा इस्तेमाल में ला पाता है और बचा पानी नदियों या समुद्र में चला जाता है.' बेंगलुरु के अलावा पेइचिंग (चीन), मेक्सिको सिटी (मेक्सिको), सना (यमन), नैरोबी (केन्या), इस्तांबुल (टर्की), साउ पाउलो (ब्राजील), कराची (पाकिस्तान), काबुल (अफगानिस्तान) और ब्यूनस आइरस (आर्जेन्टीना) भी उन 10 शहरों में शामिल हैं, जो  तेजी से 'डे जीरो' की तरफ बढ़ रहे हैं.

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