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राफेल पर सिन्हा,भूषण,शौरी की SC में अर्जी, ‘FIR लिखने का आदेश दें’

शौरी, सिन्हा और भूषण ने CBI में की थी शिकायत

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भारत
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राफेल डील में हुई कथित गड़बड़ी पर एफआईआर लिखने के लिए यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. इन तीनों ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वो इस मामले में एफआईआर लिखने का आदेश दें.

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि इस मामले की सीबीआई से तय समय में जांच कराई जाए और जांच रिपोर्ट समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाए.

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याचिका में अनुरोध

  • राफेल डील मामले में FIR दर्ज हो
  • कोर्ट की निगरानी में CBI जांच हो
  • सरकार को आदेश दें कि जांच करने वाले CBI अफसरों का ट्रांसफर नहीं हो

शौरी, सिन्हा और भूषण ने CBI में की थी शिकायत

दोनों पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और प्रशांत भूषण ने चार अक्टूबर को CBI के डायरेक्टर आलोक वर्मा से मुलाकात के बाद जांच ब्यूरो में अपनी शिकायत दायर की थी. आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच चल रहे गतिरोध को देखते हुए इन दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर जाने का निर्देश दिया गया था.

ये याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा 10 अक्टूबर को दो अन्य याचिकाओं पर केंद्र से राफेल सौदे में फैसला लेने की प्रक्रिया की जानकारी सीलबंद लिफाफे में मांगे जाने के दो सप्ताह बाद दायर की गयी है.

SC ने मांगी है डील के बारे में फैसले लेने की प्रक्रिया की जानकारी

इससे पहले, कोर्ट ने वकील मनोहर लाल शर्मा और विनीत ढांडा की याचिकाओं पर केंद्र से फ्रांस के साथ हुये समझौते के बारे में फैसले लेने की प्रक्रिया की जानकारी 29 अक्टूबर तक मांगी थी.

शर्मा की याचिका 31 अक्तूबर को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध है. हालांकि, चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह जानकारी मांगने के साथ ही स्पष्ट किया था कि वह इन विमानों की कीमत और तकनीकी विवरण के बारे में जानकारी नहीं चाहती है.

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क्या है भारत-फ्रांस राफेल डील?

भारत ने फ्रांस से 36 राफेल फाइटर जेट खरीदने का समझौता किया है. राफेल फाइटर जेट दो इंजन वाला जेट है, जिसका निर्माण फ्रांस की एविएशन कंपनी दसॉ एविएशन करती है.

भारतीय वायु सेना ने अगस्त, 2007 में 126 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिये टेंडर जारी किए थे. इसके बाद इसके लिये बोली लगाने की प्रक्रिया हेतु कई एविएशन कंपनियों को आमंत्रित किया गया था.

सिन्हा, शौरी और भूषण ने याचिका में किया ये दावा

सिन्हा, शौरी और भूषण ने अपनी नई याचिका में दावा किया है कि डिफेंस मिनिस्ट्री ने 2007 में 126 फाइटर जेट की खरीद के लिये टेंडर जारी किया था और इस प्रस्ताव में साफ था कि ऐसे 18 फाइटर जेट उड़ान भरने वाली अवस्था में विदेश से खरीदे जायेंगे और 108 विमानों का विदेशी कंपनी के साथ तकनीक हस्तांतरण के तहत भारत में हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड की फैक्ट्री में निर्माण किया जायेगा.

याचिका के अनुसार राफेल का निर्माण करने वाली दसॉ कंपनी को न्यूनतम कीमत का टेंडर देने वाला घोषित किया गया था. इसके बाद शुरू हुई बातचीत 25 मार्च, 2015 तक काफी आगे बढ़ चुकी थी. याचिका के अनुसार इसी दौरान 15 दिन के भीतर भारत के प्रधानमंत्री और फ्रांस के राष्ट्रपति ने राफेल जेट के बारे में एकदम नई डील की घोषणा की, जिसमें भारत की ओर से प्रधानमंत्री भारत में विमान निर्माण की तकनीक के हस्तांतरण के बगैर ही सिर्फ 36 लड़ाकू विमान उड़ान भरने वाली अवस्था में ही खरीदने पर सहमत हो गये.

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