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जेटली के तानों पर यशवंत का कटाक्ष- सेंट्रल हॉल में जश्न मनाइए 

मूडीज रेटिंग पर अरुण जेटली के बयान से क्यों भड़क गए यशवंत सिन्हा

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अरुण जेटली और यशवंत सिन्हा फिर आमने-सामने हैं. इस बार वजह है मूडीज की रेटिंग. वित्तमंत्री जेटली ने मूडीज की तरफ से भारत की रेटिंग बढ़ाने पर सरकार को शाबासी दी. फिर ताना मारते हुए कहा कि नोटबंदी और जीएसटी विरोधियों को जवाब मिल गया होगा. मूडीज ने इन दोनों फैसलों पर सरकार की तारीफ की है और रेटिंग बढ़ाने की वजह बताया है.

जेटली ने रेटिंग बढ़ाने के फैसले पर प्रेस कांफ्रेंस में कई बार उन लोगों की तरफ इशारा किया जो सरकार के आर्थिक फैसलों पर सवाल उठाते हैं. इसके बाद पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने पलटवार करते हुए जेटली पर तीखे व्यंग्य बाण छोड़े.

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यशवंत सिन्हा ने जेटली पर छोड़े व्यंग्य बाण

सरकार के खिलाफ कटाक्ष से भरे ट्वीट में यशवंत सिन्हा ने कहा

जब मूडीज ने भारत की पीठ थपथपा दी है तो आप दूसरे के नजरियों की खुलकर अनदेखी कर सकते हैं.

यशवंत सिन्हा ने कहा रेटिंग बढ़ गई है तो जश्न मनाइए

हमें मूडीज के रेटिंग अपग्रेड करने का जश्न संसद के सेंट्रल हॉल में आधी रात को समारोह करके मनाना चाहिए और स्टैंडर्ड एंड पुअर की अनदेखी कर देनी चाहिए.
यशवंत सिन्हा का ट्वीट

आपको याद होगा एक जुलाई को संसद के सेंट्रल हॉल में आधी रात को जश्न के साथ जीएसटी लागू की गई थी.

यशवंत सिन्हा ने परोक्ष तौर पर सरकार को याद दिलाया कि दुनिया की सबसे बड़ी रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर ने 10 सालों से भारत की इन्वेस्टमेंट रेटिंग सबसे नीचे कर रखी है.

यशवंत के निशाने पर जेटली और मोदी सरकार

ये पहला मौका नहीं है जब यशवंत सिन्हा ने सरकार की आर्थिक नीतियों की कड़ी आलोचना की है. इसके पहले तो उन्होंने खस्ताहाल इकनॉमी के लिए वित्तमंत्री अरुण जेटली को दोषी ठहराया था.

यशवंत सिन्हा ने नोटबंदी को नासमझी वाला फैसला बताया था. इसी तरह उन्होंने कहा कि एक तो जीएसटी के नियम बनाने में गड़बड़ी हुई और अमल में तो खामियां ही खामियां रहीं.

जेटली ने कहा कि मूडीज ने जीएसटी और नोटबंदी दोनों फैसलों को भारत की रेटिंग में बढ़ोतरी की वजह बताया है और विपक्षी इन्हीं फैसलों पर सवाल उठा रहे थे. उन्हें जवाब मिल गया होगा.

जेटली ने कहा आर्थिक सुधारों पर जिन लोगों को संदेह है उनको अब अपने सोचने के तरीके पर आत्ममंथन करना चाहिए.

‘पुअर स्टैंडर्ड के एनालिस्ट’

इस साल मई में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने भारत की रेटिंग अपग्रेड ना करने के लिए रेटिंग एजेंसियों की कड़ी आलोचना की थी. सुब्रमण्यम ने कहा था भारत में आर्थिक सुधारों के बावजूद रेटिंग नहीं बढ़ाई जा रही है. जबकि चीन के साथ उनका रवैया अलग है.

उन्होंने तो रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर पर निशाना उठाते हुए सवाल उठाया था..

इन रेटिंग एनालिस्ट के घटिया स्टैंडर्ड को देखते हुए इन्हें गंभीरता से क्यों लिया जाना चाहिए?

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