बीजेपी छोड़ने के 2 दिन बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने सरकार को फिर निशाने पर लिया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले 4 साल के कार्यकाल में देश के हालात आपातकाल से भी खराब हुए हैं.
बीजेपी से 21 अप्रैल को इस्तीफा देने वाले और दलीय राजनीति से संन्यास लेने वाले सिन्हा ने यह भी दावा किया है कि देश की जनता मोदी सरकार के काम की वजह से असुरक्षित महसूस कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने लोकतंत्र के मंदिर को नष्ट कर दिया है.
झारखंड के हजारीबाग से करीब 8 किलोमीटर दूर अपने आवास पर संवाददाताओं से बातचीत में यशवंत सिन्हा ने ये भी बताया कि उनके इस्तीफे का केंद्रीय मंत्री और उनके पुत्र जयंत सिन्हा के जन्मदिन से कोई लेना-देना नहीं है. यह महज संयोग था कि उनके बेटे का जन्मदिन भी उसी दिन था, जिस दिन उन्होंने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया था.
संसद के बजट सत्र में कोई कामकाज नहीं होने का जिक्र करते हुए उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार संसद को सुचारू तरीके से नहीं चलने देना चाहती थी, क्योंकि वह विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का सामना नहीं करना चाहती थी.
पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1998 में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने में कोई संकोच नहीं किया था, जब उनकी सरकार महज 1 वोट से गिर गयी थी.
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने संसद की शुचिता बनाये रखने की परवाह नहीं की. उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग पर कंट्रोल करने और प्रेस की आवाज दबाने की सरकार की सोच करार देते हुए इस पर चिंता जताई.
सिन्हा ने कहा कि इसी वजह से उन्होंने लोकतंत्र को बचाने की जिम्मेदारी ली है. उन्होंने सरकार पर सीबीआई, एनआईए , ईडी और आयकर जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं का उत्पीड़न करने और उनका मुंह बंद करने के लिए किए जाने का आरोप लगाया.
(इनपुट भाषा से)
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