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Yasin Malik को उम्रकैद की सजा, टेरर फंडिंग मामले में दोषी पाया गया था

Yasin Malik पर आपराधिक साजिश रचने, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, कश्मीर में शांति भंग करने का आरोप लगा था.

Published
भारत
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कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) को NIA की एक विशेष अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. 19 मई को यासीन मलिक को एक आतंकी फंडिंग मामले में दोषी ठहराया गया था.

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यासीन मलिक पर आपराधिक साजिश रचने, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, अन्य गैरकानूनी गतिविधियों और कश्मीर में शांति भंग करने का आरोप लगाया गया था. उसने इस मामले में अपना गुनाह कबूल कर लिया था.

कश्मीर में दुकानें बंद

यासीन मलिक के फैसले के मद्देनजर श्रीनगर में कई दुकानें बंद हैं. शहर के कुछ हिस्सों में दुकानें और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद किए गए हैं हालांकि, सार्वजनिक परिवहन और निजी वाहन सामान्य रूप से चल रहे हैं.

सुनवाई की आखिरी तारीख को उसने कोर्ट को बताया कि वह धारा 16 (आतंकवादी अधिनियम), 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश), यूएपीए की धारा 20 (एक आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होने के नाते) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 124-ए (देशद्रोह) समेत अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों का मुकाबला नहीं करेगा.

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कौन है यासीन मलिक?

यासीन मलिक का जन्म 3 अप्रैल 1966 को श्रीनगर के मैसुमा में हुआ था, उनके पिता गुलाम कादिर मलिक एक सरकारी बस ड्राइवर थे. यासीन ने श्रीनगर के श्री प्रताप कॉलेज से पढाई की थी. कश्मीरी पंडितों की हत्याओं की शुरुआत खुद को जेकेएलएफ के नेता कहने वाले सशस्त्र आतंकवादियों ने की थी.

इसी जेकेएलएफ के 'हाजी' समूह में हामिद शेख, अशफाक मजीद, जावेद मीर और यासीन मलिक शामिल थे. 20 से अधिक कश्मीरी पंडितों की हत्या करने की बात कबूल करने वाला बिटा कराटे जेकेएलएफ का ही सदस्य था.

सीबीआई ने यासीन मलिक को 18 अक्टूबर 2019 को गिरफ्तार किया था, उसे 1990 में भारतीय वायु सेना के अधिकारियों की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

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भारतीय वायु सेना के अधिकारियों की हत्या

25 जनवरी, 1990 को श्रीनगर शहर के बाहरी इलाके में भारतीय वायु सेना के जवानों की हत्या कर दी गई थी. सीबीआई ने उसी साल अगस्त में इस मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था.

सीबीआई के अनुसार आतंकवादियों ने भारतीय वायुसेना के जवानों पर गोलीबारी की, जिसमें एक महिला सहित 40 लोगों को गंभीर चोटें आईं और भारतीय वायुसेना के चार जवानों की मौके पर ही मौत हो गई.

जांच पूरी होने के बाद 31 अगस्त 1990 को जम्मू की टाडा अदालत के समक्ष मलिक और छह अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया था.

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