ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी (AIKSCC) ने 30 नवंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस की है और ये साफ किया है कि कोई भी ऐसा न माने कि ये किसानों का असंगठित विरोध प्रदर्शन है और इसका कोई नेतृत्व नहीं है. अखिल भारतीय किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी (AIKSCC) की राष्ट्रीय वर्किंग कमेटी के सदस्य की हैसियत से बोलते हुए योगेंद्र यादव ने कहा- पंजाब के 30 किसान संगठनों ने मिलकर AIKSCC तैयार किया है. ये सारे संगठन आपस में मिलते रहते हैं और मिलकर ही फैसला करते हैं. इसके अलावा किसानों ने मौजूदा केंद्र सरकार के रवैये की भी आलोचना की है.
किसान नेताओं ने बार-बार अपनी मांग को दोहराया कि सरकार कृषि बिलों को वापस ले. उन्होंने कहा कि वो गृह मंत्री अमित शाह के प्रस्ताव का इनकार करते हैं, जिसमें उन्होंने बुराड़ी जाकर विरोध करने की बात कही थी. AIKSCC का कहना है कि अब हम यहां जम गए हैं, जब तक सरकार बात करने के लिए शर्त लगाएगी हम नहीं हटें.
क्रांतिकारी किसान यूनियन के पंजाब खंड के अध्यक्ष दर्शन पाल ने सिंघु में दिल्ली-हरियाणा सीमा पर यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा- "मोदी सरकार चेहरे पर कुछ और बोलती है, लेकिन अपने बगल में खंजर रखती है. बीजेपी एक सांप्रदायिक फासीवादी और निरंकुश दल है." पाल ने कहा कि आंदोलन को मजबूत करने के लिए किसान एक और बैठक करेंगे.
AIKSCC के राष्ट्रीय समिति के सदस्य योगेंद्र यादव ने कहा कि -
अब ये आंदोलन ऐतिहासिक आंदोलन है और इसका परिणाम भी ऐतिहासिक होगा. हमारी पहले दिन से मांग है कि सरकार तीनों बिल वापस ले. ये सिर्फ पंजाब का आंदोलन नहीं है. जो ये कहा जा रहा है कि इस आंदोलन का कोई नेतृत्व नहीं है. ये कहना गलत है पंजाब के 30 किसान संगठन के नेता आपस में रोज मिल रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त किसान मोर्चा नाम से संगठन तैयार होगा. आरोप लगाए जा रहे हैं कि ये पार्टियों द्वारा प्रेरित आंदोलन है. लेकिन बता दूं कि इन्हीं संगठनों ने अमरिंदर सिंह सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था. कोई समझौता वाली बात नहीं है, सरकार इन कानूनों को वापस ले.योगेंद्र यादव
योगेंद्र यादव ने कहा कि झूठ फैलाया जा रहा है कि किसान अनजान हैं. उन्होंने कहा, "आज वास्तविकता यह है कि पंजाब और हरियाणा के प्रत्येक बच्चे को पूरी तरह से इस सख्त कानून के बारे में पता है."
हाल ही में संसद द्वारा पारित तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर देश के कई हिस्सों के किसान दिल्ली में इकट्ठे हुए हैं. वे इन कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं.
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