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कानपुर में जीका वायरस केस 100 के पार, क्या हैं लक्षण,कैसे करें बचाव- पूरा ब्योरा

जीका वायरस के ज्यादातर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती

Published
भारत
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कोरोना महामारी और डेंगू के मामलों के बीच कानपुर में जीका वायरस का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. सोमवार को कानपुर के स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि शहर में 17 बच्चों सहित कम से कम 89 लोग जीका वायरस से पॉजिटिव पाए गए हैं.

उत्तर प्रदेश के हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के अधिकारी अमित मोहन प्रसाद ने कहा, "लोग पॉजिटिव पाए जा रहे हैं क्योंकि हम लगातार और बड़े स्तर पर इसकी कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग कर रहे हैं".

वहीं कानपुर के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ नेपाल सिंह ने कहा, "अधिकारी जीका के प्रकोप की निगरानी बढ़ा रहे हैं और वायरस फैलाने वाले मच्छरों के प्रजनन को भी रोकना जारी है"

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ऐसे में जीका वायरस के क्या लक्षण हैं, बचाव के लिए क्या किया जा सकता है और इलाज क्या है ये समझना जरूरी है.

कैसे फैलता है जीका वायरस?

जीका वायरस आमतौर पर एडीज प्रजाति (Aedes species) के मच्छर के काटने से फैलता है. ये मच्छर दिन और रात दोनों समय काटते हैं. ये वही मच्छर है जो डेंगू के लिए भी जिम्मेदार होता है.

जीका वायरस शरीर में कितने समय तक रहता है?

जैसे ही कोई जीका वायरस से पॉजिटिव हो जाता है फिर उस संक्रमित व्यक्ति के खून में यह लगभग हफ्तेभर तक रहता है.

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जीका वायरस के लक्षण क्या हैं?

जीका वायरस आमतौर पर एक जानलेवा बीमारी नहीं है, हर पांच में से एक व्यक्ति के संक्रमित होने की संभावना होती है. इसके कुछ प्रमुख लक्षण हैं-

बुखार (Fever)

चकत्ते (Rash)

जोड़ों में दर्द (Joint Pain)

आंखों का लाल होना (Red Eyes)

यह लक्षण आमतौर पर संक्रमित मच्छर द्वारा काटे जाने के 2 से 7 दिन बाद दिखना शुरू होते हैं. ज्यादातर मामलों में लोगों को अस्पताल में भर्ती करवाने की आवश्यकता नहीं होती और इस वायरस के कारण होने वाली मौतें भी बहुत कम होती हैं.

क्या जीका गर्भवती मां से बच्चे में फैल सकता है?

गर्भवती मां से उसके बच्चे में भी यह संक्रमण फैल सकता है. जन्म लेने के बाद बच्चे में कई कमियां हो सकती हैं. ध्यान रहे इस वायरस से लड़ने के लिए ना तो दवाई है और ना ही वैक्सीन.

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जीका वायरस से बचाव के लिए क्या कर सकते हैं?

यदि आप उन देशों की यात्रा कर रहे हैं जहां जीका के मामले सामने आए हैं, तो मच्छरों के काटने से सावधानी बरतेें. चूंकि इसके लिए कोई वैक्सीन भी नहीं है, तो जब तक कोई वैक्सीन विकसित नहीं हो जाती तब तक इससे बचाव ही वास्तव में इलाज से बेहतर है.

इलाज क्या है?

फिलहाल इसके लिए कोई उपचार उपलब्ध नहीं है. डॉक्टर आराम की सलाह देते हैं. हाइड्रेटेड रहें, बुखार और दर्द को कम करने में मदद करने के लिए पैरासिटामोल जैसी दवाएं लें सकते हैं.

जीका वायरस दशकों से मौजूद हैं, लेकिन ये पहले कभी इतने बड़े पैमाने पर नहीं फैला है; वैज्ञानिक अभी भी इस पर रिसर्च कर रहे हैं. अब चूंकि इसका कोई इलाज नहीं है, ना ही कोई वैक्सीन है, तो बेहतर होगा कि खुद का ध्यान रखें. सावधान रहें, डरें नहीं!

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