(जादवपुर यूनिवर्सिटी के छात्र की मौत पर हमारी कवरेज का समर्थन करें)
कोलकाता के जादवपुर यूनिवर्सिटी (Jadavpur University) में फिल्म की पढ़ाई करने वाले सेकंड ईयर के छात्र जॉयदीप सरकार ने क्विंट हिंदी को बताया कि, "विरोध प्रदर्शन करते हुए हमें 200 घंटे से भी ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन यूनिवर्सटी के अधिकारियों के पास अभी भी हमारे लिए कोई जवाब नहीं है."
यह विरोध प्रदर्शन फर्स्ट ईयर के 17 वर्षीय छात्र की मौत के बाद शुरू हुआ, जिसकी कथित तौर पर 9 अगस्त को सीनियर्स ने 'रैगिंग' की थी. रैंगिग के बाद वह हॉस्टल की मंजिल से गिर गया था और अगले दिन उसकी मौत हो गई थी.
जॉयदीप और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) के कई अन्य सदस्य प्रतिष्ठित अरबिंदो भवन में धरने पर बैठे हैं, जिसमें कुलपति और प्रति-कुलपति के कार्यालय हैं और यह भवन यूनिवर्सिटी के केंद्र में स्थित है.
भवन के कॉरिडोर में गद्दे बिछाकर बैठे प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि वे तब तक नहीं उठेंगे जब तक न्याय की उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती. उनमें से कई ने कक्षाओं का बहिष्कार भी किया है.
जॉयदीप सरकार ने आरोप लगाया कि, "शुरुआत में हमारा मानना था कि पीड़ित के साथ केवल रैगिंग की गई थी, लेकिन बाद में पता चला कि वह यौन उत्पीड़न का भी शिकार था. हमने उसे आधी रात में फर्श पर नग्न अवस्था में पड़ा हुआ पाया था."
जांच में शामिल एक पुलिस अधिकारी ने पहले क्विंट हिंदी को बताया था कि पीड़ित की कथित तौर पर दो घंटे से ज्यादा समय तक रैगिंग की गई थी और उसे नग्न करने के लिए मजबूर किया गया था.
जॉयदीप सरकार ने आगे कहा कि कई छात्रों ने प्रशासन की "निष्क्रियता" के विरोध में कक्षाओं का बहिष्कार किया है.
"यह अविश्वसनीय है कि कई छात्र आगे आए हैं. कुछ कक्षाएं थीं जहां शिक्षक छात्रों को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अनुमति नहीं दे रहे थे, उनका कहना था कि इस तरह के विरोध प्रदर्शन सिर्फ उन्हें विभाजित करने के लिए किए जा रहे हैं. कुछ शिक्षकों ने यह संदेश देने की कोशिश की कि जो लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और जिन लोगों ने अपराध किया है वे अलग नहीं हैं."जॉयदीप सरकार
रैगिंग विरोधी संदेशों वाले बड़े-बड़े बैनर पूरी यूनिवर्सिटी कैंपस में फैले हुए हैं. छात्रों ने बताया कि ये कई सालों से यहां लगे हुए हैं.
बैनर में उन प्रोफेसरों और अन्य अधिकारियों के नामों की सूची है जो यूनिवर्सिटी के "एंटी-रैंगिंग स्क्वॉड" का हिस्सा हैं.
क्विंट हिंदी ने जब मौजूदा लिस्ट में शामिल जेयू के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर कार्तिक चंद्र मंडल से बात की तो उन्होंने बताया कि छात्र की मौत के मद्देनजर एक नया एंटी-रैगिंग स्क्वाड नियुक्त करने का निर्णय लिया गया है और वह जल्द ही गठित किया जाएगा.
यूनिवर्सिटी के मुख्य द्वार के सामने एक बड़ा सफेद बैनर लगा है, जिस पर लिखा है: "हम रैगिंग मुक्त परिसर और हॉस्टल चाहते हैं."
'हॉस्टल में जो हुआ वो पहले कभी नहीं देखा'
जहां अरबिंदो भवन में विरोध प्रदर्शन जोरों पर है, वहीं कैंपस के अन्य हिस्सों में सामान्य स्थिति लौटती दिख रही है. यूनिवर्सिटी में केमिकल इंजीनियरिंग की छात्रा अभिसिक्ता जोर्डर ने पिछले कुछ दिनों से जेयू में फैली अशांति पर दुख व्यक्त किया.
अभिसिक्ता ने क्विंट हिंदी को बताया कि, "मैंने ऐसा कभी नहीं देखा. ये कोई आम बात नहीं है. यह जो हुआ वह हॉस्टल में ही हुआ है और वह भी लड़कों के हॉस्टल में." अभिसिक्ता ने आगे कहा, "हमें इस तरह की चीजों के बारे में पता नहीं था क्योंकि परिसर पूरी तरह से रैगिंग से मुक्त है."
हालांकि अभिसिक्ता हॉस्टल में नहीं रहती, उनका कहना है कि उनकी किसी भी महिला सहपाठी ने कभी रैगिंग का जिक्र तक नहीं किया.
अभिसिक्ता ने कहा कि, "जहां तक कि मैंने अपने दोस्तों को सुना है तो महिला हॉस्टल में सब सामान्य है."
हालांकि, वह कहती हैं कि जेयू में विरोध प्रदर्शन के कारण कक्षाएं बाधित हुई हैं, उन्होंने आशा व्यक्त की कि जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाएगी.
उन्होंने लोगों से यूनिवर्सिटी के बारे में पिछले कुछ समय से फैल रहे नकारात्मक संदेशों पर विश्वास न करने की भी अपील की है.
अभिसिक्ता के बयान का समर्थन करते हुए यूनिवर्सिटी की पांचवें वर्ष की छात्रा लगन नानेउ ने कहा कि, "हमारे हॉस्टल की स्थिति लड़कों के हॉस्टल से कहीं बेहतर है. यह काफी सुरक्षित है इसलिए रैगिंग की कोई घटना नहीं होती है."
लगन ने बताया कि, जेयू में चार साल से अधिक समय से रहने के दौरान उन्होंने व्यक्तिगत रूप से किसी भी प्रकार की रैगिंग या भेदभाव को नहीं झेला है.
यूनिवर्सिटी के बंगाली विभाग में छाई हुई है निराशा
बंगाली विभाग में निराशाजनक माहौल बना हुआ है. पीड़ित 3 अगस्त को पहली बार विभाग में आया था और अपनी मौत से पहले केवल कुछ दिनों तक उसने कक्षा में उपस्थिति दर्ज करवाई थी.
पीड़ित के सहपाठियों में से एक नबनीता (बदला हुआ नाम) ने क्विंट हिंदी को बताया, "मेरी उससे (पीड़ित से) ज्यादा बात नहीं हो पाई, लेकिन जितना मुझे पता है कि वह बहुत शर्मीला और शांत व्यक्ति था."
दूसरी ओर, मुख्य हॉस्टल - जहां दर्दनाक घटना घटी - बंद है और केवल हॉस्टल में छात्रों और अधिकारियों को ही अंदर जाने की अनुमति है. हॉस्टल जादवपुर पुलिस स्टेशन से कुछ ही दूरी पर है.
वहीं हॉस्टल के गेट के सामने राज्य के बर्दवान जिले के 62 वर्षीय फकीर स्वपन दत्ता बाउल, अपने गले में पीड़ित की तस्वीर वाली तख्ती लटकाए खड़े थे और बाउल संगीत बजाकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
बाउल एक आध्यात्मिक परंपरा है जिसमें भक्ति गीत बजाना शामिल है. इसकी उत्पत्ति बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल में हुई थी. इस परंपरा का निष्ठापूर्वक पालन करने वाले अधिकांश लोग अपने नाम के अंत में 'बाउल' शब्द जोड़ते हैं.
दत्ता बाउल ने क्विंट हिंदी को बताया, "मैं बाउल संगीत के माध्यम से अन्यायपूर्ण घटनाओं का विरोध करने के लिए एक जिले से दूसरे जिले, एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज तक यात्रा करता हूं. हमें सभी छात्रों - लड़कों और लड़कियों - को रैगिंग से बचाना चाहिए.
कुलपति बदले गए, लेकिन क्या छात्र खुश हैं?
इस बीच, यूनिवर्सिटी में गणित के प्रोफेसर बुद्धदेव साव को राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने अंतरिम कुलपति के पद पर नियुक्त किया. इसके बाद उन्होंने रैगिंग विरोधी उपायों की घोषणा की. इनमें से कुछ में हैं:
हॉस्टल के गेटों पर सीसीटीवी कैमरे लगाना
न्यू बॉयज हॉस्टल को केवल नए छात्रों के लिए निर्धारित करना ताकी सीनियर्स वहां न हो
परिसर में सुरक्षा कड़ी करना
हालांकि, कई छात्र साव की अंतरिम वीसी के रूप में नियुक्ति से खुश नहीं हैं, उनका मानना है कि उनके कथित तौर पर बीजेपी से संबंध है. साथ ही वे भारतीय जनता पार्टी समर्थक शिक्षक संगठन के सदस्य और गबेशक संघ के प्रदेश अध्यक्ष हैं, जो कथित तौर पर आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) समर्थक मंच है.
साव की नियुक्ति पर निराशा व्यक्त करते हुए आइसा के जॉयदीप सरकार ने कहा: "हमारे नए वीसी एक बीजेपी समर्थक व्यक्ति हैं. वह आरएसएस समर्थित मंच के अध्यक्ष हैं और (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी के कैडर की तरह काम करते हैं."
जॉयदीप ने यह भी कहा कि छात्रों की इच्छा के बिना कैंपस में सीसीटीवी कैमरे लगाने समेत कोई भी फैसला लागू नहीं किया जा सकता. जॉयदीप ने कहा कि, "छात्र इस यूनिवर्सिटी के सबसे बड़े स्टेकहोल्डर हैं. इसलिए कोई भी निर्णय छात्रों द्वारा ही लिया जाना चाहिए और किया जाना चाहिए."
इसके अलावा, जॉयदीप ने कहा कि हालांकि उन्होंने शुरुआत में हॉस्टल को अलग करने के फैसले को समझा था, क्योंकि पीड़ित की मौत के बाद फर्स्ट ईयर के छात्र "दहशत की स्थिति" में थे, लेकिन उनका मानना है कि लंबे समय में ऐसा करना "हॉस्टल संस्कृति" के खिलाफ है.
क्विंट हिंदी ने कई बार वीसी साव से संपर्क किया लेकिन अभी तक उनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. उनके जवाब आने पर इस खबर को अपडेट किया जाएगा.
इस मामले के सिलसिले में कोलकाता पुलिस ने अब तक कम से कम 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
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