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Jignesh Mevani समेत 12 आरोपियों को 3 महीने जेल, बिना इजाजत मार्च निकालने की सजा

जिग्नेश मेवाणी ने 1 जून को आंदोलन की चेतावनी दी थी.

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विधायक जिग्नेश मेवाणी (Jignesh Mewani) को गुजरात की एक अदालत ने 3 महीने की जेल की सजा सुनाई है. ये सजा अदालत ने 2017 में आजादी मार्च निकालने के मामले में सुनाई है. अभी कुछ दिन पहले ही जिग्नेश मेवाणी को गुजरात से एक मामले में असम पुलिस की ओर गिरफ्तार कर उन्हें असम की एक जेल में बंद किया गया था, जहां से वो बेल लेकर बाहर आए थे.

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बुधवार को क्विंट के साथ बातचीत में जिग्नेश मेवाणी ने बताया था कि उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा जा रहा है. उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ जमकर हमला बोला. एक सवाल के जवाब में जिग्नेश ने कहा कि प्रधानमंत्री गोडसे के भक्त हैं. PM अगर गोडसे भक्त नहीं हैं तो लालकिले के प्राचीर से कहें गोडसे मुर्दाबाद, बीजेपी के नेता कहें गोडसे मुर्दाबाद.

अतिरिक्त मुख्य न्यायाधीश JA परमार की अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि रैली करना अपराध नहीं है, लेकिन बिना इजाजत रैली करना अपराध है. कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि अवज्ञा को कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

क्या था मामला?

बता दें, 12 जुलाई 2017 को ऊना में कुछ दलितों की पिटाई के एक साल के विरोध में वडगाम विधायक और उनके समर्थकों ने बनासकांठा जिले के धनेरा तक आजादी कूच का नेतृत्व किया था. दलितों की पिटाई के मामले ने तब काफी तूल पकड़ा था. मेवाणी के सहयोगियों में से एक कौशिक परमार ने मेहसाना के कार्यकारी मजिस्ट्रेट से राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के बैनर तले रैली करने की अनुमति मांगी थी, इसके लिए शुरू में अनुमति दे दी गई थी. हालांकि, प्रशासन ने इसे बाद में रद्द कर दिया, लेकिन आयोजकों ने फिर भी रैली निकाली थी.

इसके बाद मेहसाना पुलिस ने उनके खिलाफ IPC की धारा 143 गैरकानूनी तरीके से सभा करने का मामला दर्ज किया था, क्योंकि रैली निकालने की इजाजत नहीं ली गई थी. पुलिस ने इस मामले में 12 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी.

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