नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)| पंजाबी उपन्यास के पितामह के नाम से प्रसिद्ध नानक सिंह की खोई पांडुलिपी 'खूनी वैसाखी' का अंग्रेजी संस्करण लांच होगा। नानक सिंह 13 अप्रैल 1919 को जलियावाला बाग में उस कार्यक्रम में मौजूद थे जो नरसंहार में बदल गया था। इसे हार्परकॉलिन्स इंडिया द्वारा 12 अप्रैल को प्रकाशित किए जाएगा। प्रकाशक ने कहा कि उस समय सिंह की आयु 22 वर्ष थी।
प्रकाशक ने कहा, "अंग्रेज सैनिकों ने 'रॉलट अधिनियम' के विरोध में वहां प्रदर्शन कर रहे हजारों निहत्थे लोगों पर गोलीबारी शुरू कर दी तो नानक सिंह बेहोश हो गए और उसी अवस्था में उनके शरीर को मारे गए सैकड़ों लोगों के शवों के साथ एकत्र कर दिया गया।"
प्रकाशक के अनुसार, "इस दर्दनाक अनुभव से गुजरने के बाद, उन्होंने 'खूनी वैसाखी' नामक एक लंबी कविता लिखना शुरू किया जो नरसंहार और इसके तत्काल बाद की राजनीतिक घटनाओं का वर्णन करती है।"
प्रकाशक के अनुसार, "कविता में ब्रिटिश सरकार की कड़ी आलोचना की गई थी और 1920 में इसके प्रकाशित होने के बाद बहुत जल्द इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था।"
लगभग छह दशक बाद कविता दोबारा मिल गई और अब इसे लेखक के पौत्र नवदीप सूरी ने इसका अंग्रेजी में अनुवाद कराया है। नवदीप एक भारतीय राजनयिक हैं और वर्तमान में संयुक्त अरब अमीरात में भारत के उच्चायुक्त हैं।
किताब में हिंदी और अंग्रेजी- दोनों संस्करणों के साथ-साथ कुछ आलेख दिए गए हैं।
(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)