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आरोपियों का जवाब- JNU में अधिकार समझकर जलाई गई मनुस्मृति की कॉपी

‘मनुस्मृति’ से आपत्ति थी, तो उसे जलाया गया. लेकिन प्रशासन को इससे प्रॉब्लम क्या है? यह सवाल दागा है आरोपी छात्रों ने

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) कैंपस में मनुस्मृति की कॉपियां जलाने के कथित आरोपी 5 छात्रों को पिछले हफ्ते JNU प्रशासन ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था. अब आरोपी छात्रों ने इस नोटिस का जवाब दिया है.

इन छात्रों ने जवाब में लिखा है कि आपत्तिजनक साहित्य को जलाना उनका अधिकार है. कार्यक्रम में उन्होंने पूरी पुस्तक नहीं, बल्कि जिस हिस्से को उन्होंने आपत्तिजनक पाया, उसे जला दिया. साथ ही ऐसा पहली बार नहीं है कि मनुस्मृति की कॉपियां JNU कैंपस में जलाई गई हों.

प्रशासन के अनुसार, वामपंथी छात्र संगठनों की अगुवाई में कई छात्रों और ABVP के पूर्व सदस्यों ने 8 मार्च को साबरमती ढाबा के पास मनुस्मृति के कुछ पन्नों को जलाया था.

नोटिस में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इन छात्रों से पूछा था कि अनुमति नहीं दिए जाने के बावजूद कैंपस में यह कार्यक्रम क्यों किया गया? इसका जवाब देते हुए छात्रों ने कहा,

हमें कार्यक्रम से पहले कोई नोटिस नहीं मिला था. साथ ही जिस बात से हम सहमत नहीं हैं, उसकी कॉपियां जलाने से यूनिवर्सिटी प्रशासन को समस्या क्या है.

ABVP छात्र थे मुख्य आयोजकों में

ABVP के पूर्व पदाधिकारी प्रदीप नरवाल इस कार्यक्रम के मुख्य आयोजकों में से एक थे. साथ ही 2 अन्य ABVP कार्यकर्ता भी इस कार्यक्रम के मुख्य आयोजकों में शामिल थे. हालांकि उनकी तरफ से नोटिस का जवाब दिया जाना अभी बाकी है.

जिन छात्रों को नोटिस दिया गया है, उन्होंने कहा कि जो नोटिस उन्हें जारी किया गया है, उसमें वह अपराध नहीं बताया गया, जिसके लिए उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है.

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