सोपोर (जम्मू-कश्मीर), 16 सितम्बर (आईएएनएस)| अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के बाद कश्मीर के सेब उत्पादकों को संचार सेवा बाधित होने से कठिनाइयों को सामना करना पड़ रहा था, जिसे देखते हुए सरकार ने नोडल खरीद एजेंसी के माध्यम से उनसे सीधे सेब खरीदने की योजना की घोषणा की।
सरकार के इस कदम से ज्यादातर सेब उत्पादक खुश हैं, मगर उनके लिए एक समस्या पैदा हो गई है। दरअसल, इस योजना के शुरू होने से पहले बहुत सारे सेब उत्पादकों ने व्यापारियों से अग्रिम राशि ले रखी है।
एशिया की सबसे बड़ी सेब मंडी उत्तर कश्मीर स्थित सोपोर 30 साल पहले कश्मीर में आतंकवाद पैदा होने के बाद पहली बार बंद हो गई है।
कश्मीर में सेब उत्पादकों के लिए बाजार हस्तक्षेप लक्ष्य योजना शुरू होने के दो दिन बाद भी सोपोर सेब मंडी में सिर्फ चार किसानों ने इस योजना के तहत पंजीकरण करवाया है जबकि मंडी से तकरीबन 900 किसान जुड़े हैं।
हालांकि किसी ने अब तक अपनी फसल नहीं बेची है।
सेब उत्पादक किसान गुलाम मोहिदुद्दीन डार सरकार की इस योजना से खुश हैं और वह इसके तहत अपनी फसल बेचने को तैयार हैं। उन्होंने खुद को सोपोर सेब मंडी में पंजीकृत करवाया है।
उन्होंने कहा, "मौजूदा हालात में यह सबसे अच्छी पेशकश है। भाव अच्छे हैं। इस योजना के तहत भाव में स्थिरता रहेगी और पारदर्शिता भी रहेगी। मैं सरकार को 4,000 पेटी सेब बेचने को सोच रहा हूं।"
सरकार ग्रेड-ए का सेब 52 रुपये प्रति किलो और ग्रेड-बी का सेब 36 रुपये प्रति किलो और ग्रेड-सी का सेब 16.75 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदेगी।
अब अग्रिम पेशगी दे चुके सेब व्यापारी के सामने समस्या यह है कि वे किस तरह सरकार की इस नई योजना के अनुरूप सेब खरीद पाएंगे। सेब उत्पादक अगर सरकार के हाथों सेब बेचेंगे तो क्या वे उनके पैसे वापस करेंगे।
सेब व्यापारी गुलाम नबी ने कहा, "90 फीसदी से ज्यादा किसानों ने व्यापारियों से अग्रिम राशि ले रखी है। सोपोर में लोगों ने पहले ही 2,000 करोड़ रुपये का सेब अग्रिम में बेच रखा है। मैंने किसानों को दो करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान किया है।"
उन्होंने कहा, "सरकार को साल के आरंभ में इस योजना की घोषणा करनी चाहिए न कि फसल तैयार होने के सीजन के मध्य में।"
मंडी से थोड़ी ही दूरी पर आदिल हुसैन राजमार्ग के पास स्थित अपने बड़े सेब बगान में सेब तोड़ने में व्यस्त थे। उन्होंने कहा कि वह भले ही अगले साल सरकारी योजना के तहत सेब बेचेंगे लेकिन इस साल उन्हें व्यापारियों को ही सेब बेचना होगा क्योंकि उन्होंने कुछ महीने पहले ही उनसे अग्रिम राशि ले रखी है।
सोपोर से सेब भरकर रोजाना करीब 1,000 ट्रक निकलते हैं लेकिन बंद पड़ी मंडी के भीतर कोई गतिविधि विरले ही देखने को मिलती है।
देश के कुल सेब का 75 फीसदी उत्पादन कश्मीर में होता है।
सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि सेब खरीद की उसकी योजना सिर्फ इस साल के लिए है या इसे अगले साल भी जारी रखा जाएगा।
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