मध्यप्रदेश के जूनियर डॉक्टर स्टाइपेंड बढ़ाए जाने सहित अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। इससे स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित है और कोरोना के अलावा ब्लैक फंगस के मरीजों के उपचार में कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं।
इसके अलावा, उच्च न्यायालय भी हड़ताल को अवैध करार देकर काम पर लौटने को कह चुका है, मगर जूडा ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया। इसके बाद गांधी चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता ने जूनियर डॉक्टर के इस्तीफे मंजूर करते हुए उन्हें छात्रावास खाली करने का नोटिस जारी किया है।
इस मसले पर दिल्ली एम्स रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अमनदीप सिंह ने आईएएनएस को बताया, मध्यप्रदेश में 3 हजार डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर 6 दिन से हड़ताल पर है। इन मांगों में पहली अस्पताल में सुरक्षा मुहैया कराना, दूसरी कोविड संक्रमण होने पर उन्हें और उनके परिवार को अस्पताल में तुरंत इलाज और अन्य सुविधाएं मिले और तीसरी तनख्वाह को लेकर है।
उन्होंने कहा, इन सबके बीच राज्य के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टरों की नहीं सुन रहे हैं। राज्य सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। इनकी मांगों को सरकार जल्द पूरी कर इस विवाद को खत्म करे, ताकि डॉक्टर महामारी में मरीजों का इलाज कर सकें।
राज्य में छह चिकित्सा महाविद्यालय हैं और तीन हजार जूनियर डॉक्टर हैं। इन जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने का स्वास्थ्य सेवाओं पर खासा असर पड़ रहा है, क्योंकि चिकित्सा महाविद्यालयों के अधीन आने वाले अस्पतालों का बड़ा जिम्मा इन्हीं जूनियर डॉक्टरों पर है।
--आईएएनएस
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