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ममता ने केंद्र को तृणमूल सरकार बर्खास्त करने की चुनौती दी

ममता ने केंद्र को तृणमूल सरकार बर्खास्त करने की चुनौती दी, असम में शांतिपूर्ण प्रदर्शन

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पश्चिम बंगाल में नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान राजमार्ग और रेलमार्गों को बाधित किये जाने तथा आगजनी और लूटपाट की घटनाओं से यह पूरा विरोध उग्र स्वरूप धारण करता जा रहा है। वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को घोषणा की कि संशेाधित कानून और एनआरसी को ‘‘उनकी लाश’’ पर से गुजर कर ही राज्य में लागू किया जा सकता है।

पूर्वोत्तर का द्वार समझे जाने वाले असम में स्थिति कमोबेश शांत रही। राज्य में कर्फ्यू में ढील दी गयी है और जनजीवन सामान्य रहा। राष्ट्रपति द्वारा नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद सबसे पहले असम में ही जनाक्रोश भड़का था।

अधिकारियों ने बताया कि गुवाहाटी में कुछ प्रदर्शनकारी और उनके नेता हिरासत में लिये गये लेकिन बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया। वैसे सोशल मीडिया के कथित दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से अगले 24 घंटों के लिये इंटरनेट सेवा स्थगित कर दी गयी।

पश्चिम बंगाल में राजधानी कोलकाता समेत विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन हुआ। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ की सलाह की अनदेखा कर संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ रैली निकाली और केंद्र को उनकी सरकार को बर्खास्त करने की चुनौती दी।

राज्य सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) की तैयारी और उसके अद्यतन से संबंधित सभी गतिविधियों पर भी रोक लगा दी है।

बनर्जी एक मात्र ऐसी मुख्यमंत्री हैं जो नये नागरिकता कानून का भरपूर विरोध करते हुए सामने आयीं और सड़कों पर उतरीं। उन्होंने संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित एनआरसी का क्रियान्वयन रोकने की प्रतिबद्धता जतायी और लगातार जारी हिंसा के लिए राज्य की कुछ बाहरी शक्तियों को जिम्मेदार ठहराया।

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने रेड रोड से उत्तरी कोलकाता में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के आवास, जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी तक रैली निकाली। उन्हें विभिन्न समर्थकों ने साथ दिया जिनके हाथों में ‘नो सीएए’ और ‘नो एनआरसी’ लिखीं तख्तियां थीं।

बनर्जी ने असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम की ओर परोक्ष इशारा करते हुए कहा,‘‘राज्य से बाहर की कुछ ताकतें, जो अल्पसंख्यकों का मित्र होने का दिखावा कर रही हैं,वे हिंसा में शामिल हैं। ये ताकतें भाजपा के हाथों की कठपुतली हैं। उनके जाल में नहीं फंसें।’’

हाल में बनर्जी और ओवैसी के बीच वाकयुद्ध हुआ था।

मुख्यमंत्री ने कहा,‘‘ जब तक मैं जिंदा हूं,मैं एनआरसी अथवा नागरिकता कानून कभी लागू नहीं करूंगी। आप चाहें तो मेरी सरकार को बर्खास्त कर दें या मुझे सलाखों के पीछे डाल दें लेकिन मैं यह काला कानून कभी लागू नहीं करूंगी। जब तक यह कानून निरस्त नहीं कर दिया जाता मैं संवैधानिक तरीके से प्रदर्शन करना जारी रखूंगी। यदि वे बंगाल में उसे लागू करना चाहते है। तो उन्हें मेरी लाश पर ऐसा करना होगा।’’

राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मौजूदा हालात के बारे में जानकारी देने के लिए मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के नहीं आने के बाद सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से व्यक्तिगत रूप से उन्हें चीजों के बारे में बताने को कहा। धनखड़ ने दोनों अधिकारियों को बुलाया था। इसी के साथ उन्होंने बनर्जी के विरोध मार्च को ‘असंवैधानिक एवं भड़काऊ’ करार दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री को विरोध प्रदर्शन की अपनी योजना पर आगे नहीं बढ़ने के लिए मनाने का प्रयास किया था।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ इस गंभीर स्थिति को देखते हुए मैंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कल अपनी सुविधानुसार व्यक्तिगत रूप से राजभवन आकर स्थिति की जानकारी देने को कहा है। अभी तक मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से कोई जवाब नहीं आया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण और अप्रत्याशित है।’’

बनर्जी का मंगलवार और बुधवार को ऐसी ही कई रैलियां निकालने का कार्यक्रम है।

इस बीच, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को व्यापक हिंसा के बीच कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए की गयी कार्रवाई के बारे में बुधवार को रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

मुख्य न्यायाधीश टी बी एन राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति एच भट्टाचार्य की पीठ ने हावड़ा के एक निवासी की ओर से दायर याचिका पर ये निर्देश दिए। हावड़ा में तोड़फोड़ और आगजनी की कई घटनाएं हुईं हैं।

राज्य के छह जिलों -- मालदा, उत्तर दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद, हावड़ा, उत्तरी 24 परगना जिले और दक्षिण 24 परगना जिले के कई हिस्सों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहीं जहां संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के चलते आम जनजीवन पटरी से उतर गया है।

नादिया और वीरभूम जिलों से हिंसा, लूट और आगजनी की घटनाएं सामने आयी हैं।

कोलकाता में भाजपा कार्यकर्ताओं ने व्यस्त सुलेखा क्रॉसिंग पर प्रदर्शन किया और उनकी पुलिस के साथ तीखी बहस हुई। पुलिस और भाजपा समर्थकों के बीच झड़प भी हुई। भाजपा समर्थकों ने उनकी रैली को रोकने के लिए लगाए बैरिकेड्स को गिराने की कोशिश की। किसी के भी घायल होने या हिरासत में लिए जाने की खबर नहीं है।

इन प्रदर्शनों के कारण कई ट्रेनों को रद्द किया गया या वे विलंब से चल रही हैं।

रेलवे के एक प्रवक्ता ने बताया कि सियालदाह-डायमंड हार्बर और सियालदाह-नमखाना सेक्शनों पर प्रदर्शनकारियों ने पटरियों को अवरुद्ध कर दिया है।

अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के बीच ट्रेनों को पूरी तरह रोक दिया गया है। ईस्टर्न रेलवे ने राज्य के उत्तरी क्षेत्र में अपनी सभी सेवाओं को निलंबित कर दिया है।

ईस्टर्न रेलवे के प्रवक्ता निखिल चक्रवर्ती ने कहा कि मालदा के आगे कोई ट्रेन नहीं जा रही है।

वहीं, असम में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बेहतर हुई है। प्रशासन गुवाहाटी में सुबह छह बजे से रात को नौ बजे तक कर्फ्यू में ढील दे रहा है। हालांकि गुवाहाटी में रात को कर्फ्यू जारी रहेगा।

असम के अतिरिक्त डीजीपी (कानून एवं व्यवस्था) जी पी सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘स्थिति में काफी सुधार आया है, गुवाहाटी से 16 दिसंबर को सुबह छह बजे से दिन का कर्फ्यू हटाया गया। रात का कर्फ्यू रात नौ बजे से अगले दिन सुबह छह बजे तक जारी रहेगा।’’

डिब्रूगढ़ में प्रशसान ने लोगों को दोपहर तीन बजे के बाद बिना अनुमति के कोई प्रदर्शन करने के खिलाफ आगाह किया है।

आसू के मुख्य सलाहकार समुजल भट्टाचार्य और महासचिव लुरिनज्योति गोगोई को गुवाहाटी में एक रैली के दौरान 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस हिरासत में दिया गया। हालांकि बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया।

असम के प्रभावशाली मंत्री हेमंतविश्व शर्मा ने कहा कि स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है और कर्फ्यू शीघ्र ही हटाया जाएगा एवं इंटरनेट सेवाएं बहाल की जाएंगी।

पुलिस ने राज्य में पिछले सप्ताह हुई हिंसा के संबंध में 136 मामले दर्ज किए हैं और 190 लोगों को गिरफ्तार किया। उन्होंने बताया कि पाबंदियां हटाने की कोशिशें चल रही है ताकि शैक्षिक संस्थान खुल सकें।

इस बीच, असम सरकार ने सोमवार को घोषणा की कि गुवाहाटी में 11 दिसंबर को लगाए कर्फ्यू को मंगलवार सुबह छह बजे से हटाया जाएगा।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों के बाद बंद की गई ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाओं को भी मंगलवार सुबह से बहाल कर दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक में यह फैसला लिया गया।

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