एनएसजी मुद्दे पर भारत को अमेरिका से समर्थन मिलने के बाद ज्यादातर देशों ने भारत को सकारात्मक संकेत दिए है. लेकिन चीन ने एक बार फिर इसका विरोध किया है.
भारत के आवेदन पर 48 सदस्यीय एनसजी की दो दिन की बैठक ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में शुरू हुई है. भारत ने औपचारिक तौर पर पिछली 12 मई को एनएसजी सदस्यता के लिए आवेदन किया था.
विएना से आई खबरों में कहा गया कि चीन भारत की सदस्यता का विरोध करने वाले देशों की अगुवाई कर रहा है. तुर्की, न्यूजीलैंड, आयरलैंड, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रिया चीन के रूख का समर्थन कर रहे हैं.
अमेरिका के साथ साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एनएसजी सदस्यता के मुद्दे पर मेक्सिको का भी समर्थन हासिल हुआ है. अपने अमेरिका दौरे के बाद मोदी मेक्सिको की यात्रा पर गए थे.
क्यों कर रहा है चीन आपत्ति?
चीन हमेशा से एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध करता रहा है. उसका कहना है कि सिर्फ परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत करने वाले देशों को ही इसमें एनएसजी की सदस्यता मिलनी चाहिए. चीन का ये भी कहना है कि यदि किसी तरह की रियायत देकर भारत को एनएसजी की सदस्यता दी जाती है तो पाकिस्तान को भी इस संगठन की सदस्यता दी जानी चाहिए.
अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने एक पत्र लिखकर एनएसजी के सदस्य देशों से अपील की है कि इस महीने के अंत में जब सोल में एनएसजी की बैठक हो तो उन्हें भारत को शामिल करने पर आम राय कायम करने में बाधा न डालने पर सहमत होना चाहिए.
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