मंगलवार को केंद्र सरकार ने यह फैसला 22 राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के साथ हुई बैठक में लिया।
केंद्र सरकार द्वारा की गई इस बढ़ोतरी के बाद मिड डे मील में केंद्र सरकार का हिस्सा बढ़कर 8100 करोड़ रुपये हो गया है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा केंद्र की ओर से सालाना आवंटित की जाने वाली वाली यह राशि पहले 7300 करोड़ रुपए रुपए थी। अब इसमें 10.99 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है ,जिसके बाद बच्चों को दिए जाने वाले मिड डे मील में केंद्र का हिस्सा बढ़कर 8100 करोड़ रुपए हो गया है।
केंद्र सरकार की ओर से दी जाने वाली यह धनराशि छात्रों के मिड डे मील के लिए दालों सब्जियों, खाद्य तेल, मसाले व इंधन खरीदने के लिए इस्तेमाल की जाएगी। ताकि कोरोना के संकट काल में भी स्कूली छात्रों को पौष्टिक भोजन प्रदान किया जा सके।
केंद्रीय मंत्री निशंक ने कहा लॉक डाउन की स्थिति में भी बच्चों को पर्याप्त और पोष्टिक भोजन मिलता रहे इसके लिए मध्यान भोजन के अंतर्गत राशन उपलब्ध करवाया जा रहा है।
उन्होंने कहा ग्रीष्मावकाष में भी मध्याहन भोजन उपलब्ध करने हेतु स्वीकृति दी जा रही है। इस पर कुल लगभग 1600 करोड़ रुपये व्यय आएगा। इसके अतिरिक्त मध्याहन भोजन योजना के अंतर्गत प्रथम तिमाही हेतु 2500 करोड़ रुपये की जारी की जा रही है।
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम हेतु 15 मार्च से ही स्कूल कॉलेज बंद हैं बावजूद इसके सरकार गरीब छात्रों के पोषण हेतु मिड डे मील योजना को चालू रखना चाहती है।
मंत्रालय ने कक्षा 1 से 5 के छात्रों के छात्रों के मिड डे मील का खर्च 4.48 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 4.97 रुपये कर दिया है। वहीं कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों के मिड डे मील की राशि 6.71 रुपये से बढ़ाकर 7.45 रुपए प्रतिदिन प्रतिदिन कर दी गई है।
-- आईएएनएस
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