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MP: 'फेक वीडियो' की पॉलिटिक्स जारी, दिग्विजय सिंह वाली गलती कर फंसे विजयवर्गीय

कैलाश विजयवर्गीय ने तेलंगाना का 3 साल पुराना वीडियो, मध्यप्रदेश के खरगोन का बताकर शेयर किया

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न्यूज
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बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने 14 अप्रैल को एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें एक शख्स कहता दिख रहा है ''इतना डर काफी है तुम लोगों के लिए''. विजयवर्गीय ने इस वीडियो को खरगोन का बताया, जबकि असल में ये वीडियो न तो हाल का है न ही मध्यप्रदेश का. वीडियो असल में तेलंगाना का है. क्विंट की वेबकूफ टीम भी इसकी पड़ताल कर चुकी है.

हालांकि कैलाश विजयवर्गीय खरगौन हिंसा की कहानी में फेक न्यूज शेयर करने वाले पहले 'पात्र' नहीं है. रामनवमी हिंसा को लेकर एमपी पॉलिटिक्स में आए इस फेक कल्चर की कहानी शुरू से सुनना जरूरी है.

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खरगोन हिंसा: फेक वीडियो की कहानी शुरू हुई दिग्विजय के ट्वीट से

मध्यप्रदेश के खरगोन में रामनवमी जुलूस के बाद सांप्रदायिक तनाव बढ़ा. प्रशासन ने 'आरोपियों' के घरों पर बुल्डोजर चलाए, गिरफ्तारियां हुईं, ये सब एक तरफ है. दूसरी तरफ है सोशल मीडिया पर चल रहा नेताओं के बीच फेक वीडियो शेयर करने का कॉम्पिटिशन.

हिंसा के अगले दिन कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मुजफ्फरपुर का वीडियो शेयर कर मध्यप्रदेश सरकार पर निशाना साधा. एमपी सरकार ने फौरन साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप में दिग्विजय पर FIR करा दी. दिग्विजय सिंह ने कुछ युवकों को एक मस्जिद में भगवा झंडा लहराते हुए एक तस्वीर पोस्ट की थी. बाद में उन्होंने अपने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया था.

सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ, दिग्विजय सिंह ने इसके बाद शिवराज सिंह चौहान का 3 साल पुराना ट्वीट किया वीडियो निकालकर उसे फेब्रिकेटेड बताया और उनपर FIR की मांग की. दिग्विजय सिंह ने भोपाल कमिश्नर को शिवराज सिंह चौहान पर FIR दर्ज करने की मांग करते हुए एक पत्र भी लिखा.

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अब कैलाश विजयवर्गीय ने तेलंगाना के वीडियो को, खरगौन का बताया

मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से न तो दिग्विजय के आरोपों का कोई आधिकारिक खंडन हुआ, न ही कोई स्पष्टीकरण आया. ऐसा लग ही रहा था कि अब ये फेकिंग - फेकिंग गेम खत्म हो रहा है कि एंट्री हुई बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय की. विजयवर्गीय ने 14 अप्रैल को तेलंगाना का एक पुराना वीडियो खरगौन का बताकर ट्वीट कर दिया.

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कैलाश विजयवर्गीय इस वीडियो को गलत दावे से शेयर करने वाले पहले शख्स नहीं है. कई सोशल मीडिया यूजर्स पहले भी इस वीडियो को अलग-अलग दावों के साथ शेयर कर चुके हैं. हाल में ही इसे राजस्थान का बताकर शेयर किया गया था. क्विंट की वेबकूफ टीम ने जब इसकी पड़ताल की, तो सामने आया कि वीडियो तेलंगाना का है और 2019 का है.

हमें राजस्थान पुलिस के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर इस वीडियो को लेकर किया गया एक ट्वीट मिला, जिसमें पुलिस ने इस वीडियो के राजस्थान से संबंध से इनकार करते हुए लिखा कि ये वीडियो निजामाबाद का है. इस वीडियो की पूरी पड़ताल पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें.

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दिग्विजय ने गलती मानी, विजयवर्गीय ने अब तक नहीं 

दिग्विजय सिंह ने फोटो ट्वीट करने के कुछ वक्त बाद ट्वीट डिलीट कर दिया था. साथ ही ट्विटर पर स्पष्ट करते हुए लिखा भी कि जब उन्हें तस्वीर की सच्चाई का पता चलो, तो उन्होंने उसे डिलीट कर दिया.

हालांकि, कैलाश विजयवर्गीय के मामले में ऐसा देखने को नहीं मिला. उन्होंने न तो इस वीडियो को लेकर कुछ स्पष्ट किया है, न ही गलती मानी है. हां, कैलाश विजयवर्गीय ने एक ट्वीट जरूर किया है, जिसमें उन्होंने दिग्विजय सिंह पर ट्वीट का गलत अर्थ निकालने का आरोप लगाया है. विजयवर्गीय ने लिखा ''आप मेरा ट्वीट पुनः पढे़ें आशय बहुत स्पष्ट है जिन शांतिदूतों के आप पैरोकार बनते है वो अपराध करेंगे तो देश के किसी भी हिस्से में कार्यवाही से नहीं बच पायेंगे''

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क्या विजयवर्गीय के ट्वीट का गलत अर्थ निकाला गया?

उनका वो ट्वीट देखकर तो ऐसा नहीं लगता, जिसके साथ उन्होंने वीडियो शेयर किया था. ट्वीट में कैलाश विजयवर्गीय ने लिखा था ''ये हैं खरगोन में चचाजान @digvijaya_28 के शांतिदूत पुलिस इन पर कार्यवाही न करे तो क्या करे?? आस्तीन के साँप कोई भी हों फन कुचलना जरूरी है''.

इस ट्वीट से साफ हो रहा है कि कैलाश विजयवर्गीय ने वीडियो को खरगोन का बताने की ही कोशिश की है. हालांकि, अब बड़ा सवाल ये है कि जिस तत्परता से मध्यप्रदेश शासन ने दिग्विजय सिंह पर फेक वीडियो शेयर करने को लेकर FIR की, क्या कैलाश विजयवर्गीय पर भी ऐसा कोई एक्शन होगा?

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