भोपाल, 11 दिसंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव की मतगणना में पल-पल बदलते रुझान लोगों को ठीक 20-20 क्रिकेट मैच की याद दिलाने वाले हैं। कभी भारतीय जनता पार्टी बढ़त बनाती है तो कभी कांग्रेस आगे निकल जाती है। दोनों दल ही जीत के जादुई आंकड़े को छूते हैं और नीचे उतर आते हैं।
राज्य के 230 विधानसभा क्षेत्रों के लिए चली मतगणना ने पल-पल लोगों की धड़कनों को बदलता रहा। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दलों की सीटों की बढ़त का आंकड़ा 100 से उपर बना रहा। दोनों ही दलों में एक दूसरे को पीछे करने का दौर चलता रहा। पूरे समय यह तय नहीं हो पाया कि सरकार आखिर किसकी बनेगी।
पिछले चुनाव पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि भाजपा पिछले चुनाव में 165 सीटें जीतकर सत्ता में आई थी, वहीं कांग्रेस ने 58 सीटें ही जीती थी। कांग्रेस ने इस बार का चुनाव पिछले चुनाव के मुकाबले ज्यादा बेहतर रणनीति से लड़ा। यही कारण रहा कि राज्य में चुनाव कांटे का हो गया।
चुनाव के रुझानों पर गौर करें तो पूरी तरह यह पता चलता है कि अधिकांश समय दोनों दलों का आंकड़ा 110 के आसपास बना रहा। नतीजों का रुझान ठीक वैसा ही रहा, जैसे 20-20 क्रिकेट मैच में हुआ करता है। एक ओवर निकलने पर रन का औसत बढ़ जाता है तो दूसरी ओर एक ओवर में अच्छे रन बनने पर रन का औसत कम हो जाता है, ठीक वैसा ही हाल इस बार के चुनाव परिणामों के रुझानों के दौरान नजर आया।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक भारत शर्मा का कहना है कि मध्य प्रदेश में इस चुनाव से पहले हमेशा मतदाताओं ने किसी एक दल पर अपना विश्वास जताया, मगर परिणामों के रुझान जिस तरह से आ रहे हैं, वह दोनों प्रमुख दलों में हुई बगावत और बहुजन समाजवादी पार्टी व समाजवादी पार्टी की बढ़ी ताकत के कारण संभव हुआ है। राज्य में इस बार के चुनाव के नतीजे यह बताते हैं कि राज्य में तीसरे मोर्चे के भी संभावना बढ़ रही है।
राज्य के विधानसभा चुनाव की मतगणना सुबह आठ बजे से शुरू हुई और शुरुआत से ही यह दौर चला, जिसने भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के नेताओं को संकट से घेरे रखा। कभी भाजपा बढ़त पा लेती तो कुछ ही पलों बाद कांग्रेस अंतर में बदलाव ला देती। हाल हर किसी की धड़कनों को बढ़ाने वाला रहा। जीत-हार की संभावनाओं के बदलते रंगों ने राज्य की सियासत में नया रंग घोल दिया है।
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