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'मुसलमान यहां हनुमान मंदिर बनाते हैं तो हिंदू इमामबाड़ा'

'मुसलमान यहां हनुमान मंदिर बनाते हैं तो हिंदू इमामबाड़ा'

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 लखनऊ, 30 नवंबर (आईएएनएस)| जब लखनऊ पर बात चली तो साहित्य और रंगमंच की पहचान बन चुके विलायत जाफरी और 'उमराव जान' जैसी फिल्म के जरिए लखनऊ को दुनियाभर में पहुंचा चुके निर्माता-निर्देशक मुजफ्फर अली ने शुक्रवार को संयुक्त बयान में कहा कि यहां न गंगा है न जमुना नदी, फिर भी गंगा-जमुनी तहजीब का अजब नजारा है कि मुसलमान यहां हनुमान मंदिर बनाते हैं तो हिंदू इमामबाड़ा तैयार कराते हैं।

  मौका था दैनिक जागरण संवादी कार्यक्रम के पहले सत्र 'लखनऊ मेरा लखनऊ' का, जिसमें कई वक्ताओं ने अपनी बात रखी।

विलायत जाफरी ने कहा, "मुहब्बत तो सबने कभी न कभी, किसी न किसी से की होगी, लेकिन मुहब्बत की असल परिभाषा जाननी हो तो थोड़ा लखनऊ को समझ लीजिए। जैसे मुहब्बत में अपनी पहचान बरकरार रखते हुए प्रेमी एक-दूसरे में समा जाते हैं, जैसे गंगा और जमुना अलग दिखते हुए भी संगम में एक हो जाती हैं, वैसे ही लखनऊ भी है।"

उन्होंने कहा, "लखनऊ वो शहर है, जहां हनुमान का मंदिर एक मुसलमान बनाता है तो एक इमामबाड़ा हिंदू और यह तहजीब हमें अपने पूर्वजों से मिली है। इस गंगा-जमुनी तहजीब को मिटाना इतना आसान नहीं है। इस तहजीब को बचाने में हमें परेशानी नहीं होगी, क्योंकि यह संस्कार हमारे रूह में हैं।"

सत्र का संचालन करते हुए आत्मप्रकाश मिश्र ने कहा "लखनऊ तहजीब का शहर है, गंगा-जमुनी सभ्यता का शहर ही लखनऊ है।"

वहीं, मुजफ्फर अली ने कहा, "लखनऊ एक दर्द भी और एक तकलीफ भी है। अगर आप तकलीफ में नहीं तो आप लखनऊ के नहीं। लखनऊ हम और आप हैं। कल का लखनऊ कैसा होगा, वैसा होना भी हम और आप ही तय कर सकते हैं। गंगा-जमुनी तहजीब हिंदुस्तान की आत्मा है, जिसे हमें बचा के चलना है।"

विलायत जाफरी और मुजफ्फर अली से आत्मप्रकाश मिश्र ने बातचीत की।

उत्तर प्रदेश की रचनात्मकता सत्र में शैलेंद्र सागर, डॉ. विश्वनाथ तिवारी और लीलाधर जगूड़ी जैसे दिग्गज साहित्यकारों से राहुल चौधरी नील ने बातचीत की।

साहित्य-साधक डॉ. तिवारी ने कहा, "रचनात्मकता जन्मजात भी होती है और परिवेश में पल्लवित भी होती है। हर व्यक्ति रचनात्मक होता है, रचनात्मकता और प्रतिभा उत्तर प्रदेश के हर व्यक्ति में है।"

प्रसिद्ध कवि लीलाधर जगूड़ी ने कहा, "उत्तर प्रदेश को इस तरह देखना चाहिए कि यह प्रदेश इस समय किस तरफ जा रहा है और यह वर्तमान सरकार पर है कि वह इस प्रदेश को किस तरफ ले जाए।"

शैलेंद्र सागर ने कहा, "उत्तर प्रदेश में रचनात्मकता तो है, मगर पाठक वर्ग उत्तर प्रदेश में छोटा, बिहार में बड़ा है।"

(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)

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