नयी दिल्ली, 8 जुलाई :भाषा: लोकसभा में सोमवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन विधेयक 2019 पेश किया गया जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए को भारत से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में मामले का पंजीकरण करने और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है।
लोकसभा में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन विधेयक 2019 पेश किया । कांग्रेस, आईयूएमएल ने विधेयक का विरोध किया और कहा कि इस बात की गारंटी होनी चाहिए कि इसका दुरूपयोग नहीं किया जायेगा । आईयूएमएल के पी के कुनीलकुट्टी ने कहा कि इस बात की कुछ गारंटी होनी चाहिए कि इसका दुरूपयोग नहीं किया जायेगा । कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा कि अदालतों में काफी संख्या में मामले लंबित हैं । हम अदालत से सुनते आ रहे हैं कि त्वरित निपटान अदालतों का गठन किया जाना चाहिए । लेकिन इस विधेयक में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है । उन्होंने कहा कि यह टुकड़ों में लाया गया है और इसमें सभी पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए ।
गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि इस संशोधन विधेयक का मकसद एनआईए अधिनियम को मजबूत बनाना है । यह देश की जनता चाहती है । उन्होंने कहा कि जहां तक एनआईए अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति का विषय है तो हम सिर्फ प्रक्रिया को सरल बनाना चाहते हैं । कई बार जज का ट्रांसफर हो जाता है, तब अधिसूचना जारी करना पड़ता है और इस क्रम में दो तीन माह चले जाते हैं । हम इसे रोकना चाहते हैं । जजों की नियुक्ति उच्च न्यायालय को करनी है । रेड्डी ने कहा कि हम चाहते है कि एनआईए को भारत के बाहर दुनिया में किसी भी हिस्से में भारतीयों के खिलाफ मामले की जांच करने में सक्षम बनाया जा सके ।
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन विधेयक 2019 उपबंध करता है कि अधिनियम की धारा 1 की उपधारा 2 में नया खंड ऐसे व्यक्तियों पर अधिनियम के उपबंध लागू करने के लिये है जो भारत के बाहर भारतीय नागरिकों के विरूद्ध या भारत के हितों को प्रभावित करने वाला कोई अनुसूचित अपराध करते हैं। अधिनियम की धारा 3 की उपधारा 2 का संशोधन करके राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण के अधिकारियों की वैसी शक्तियां, कर्तव्य, विशेषाधिकार और दायित्व प्रदान करने की बात कही गई है जो अपराधों के अन्वेषण के संबंध में पुलिस अधिकारियों द्वारा न केवल भारत में बल्कि भारत के बाहर भी प्रयोग की जाती रही है । इसमें भारत से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में एजेंसी को मामले का पंजीकरण और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है । इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अधिनियम के अधीन अपराधों के विचारण के मकसद से एक या अधिक सत्र अदालत, या विशेष अदालत स्थापित करे ।
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