नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) के पोते चंद्र कुमार बोस ने बुधवार, 6 सितंबर को बीजेपी से इस्तीफा दे दिया. एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, "जब मैं बीजेपी में शामिल हुआ तो मुझसे वादा किया गया था कि मुझे नेताजी सुभाष चंद्र बोस और शरत चंद्र बोस की समावेशी विचारधारा का प्रचार करने की अनुमति दी जाएगी. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ "
अगस्त में द क्विंट को दिए एक साक्षात्कार में, बोस ने बीजेपी में कई लोगों के साथ अपने वैचारिक मतभेद व्यक्त किए थे. उन्होंने कहा था...
"मुझे बीजेपी में शामिल होने और सुभाष चंद्र बोस की समावेशी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा का अभ्यास करने के लिए हरी झंडी दी गई थी. मैंने इसे आजमाया है. मैं बहुत सफल नहीं रहा क्योंकि देखिए, एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है, जो वास्तव में उस विचारधारा को लागू कर सके. यह एक संयुक्त प्रयास है. मुझे प्रधान मंत्री से बहुत समर्थन मिला, लेकिन मुझे लगता है कि पार्टी को भी आगे आकर सुभाष चंद्र बोस की समावेशी विचारधारा का प्रचार करने की जरूरत है."चंद्र कुमार बोस
उन्होंने इस्तीफा पत्र में लिखा कि "तब मेरी चर्चा (बीजेपी के साथ) बोस ब्रदर्स (नेताजी और उनके बड़े भाई शरत चंद्र बोस, जो एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे) की समावेशी विचारधारा पर केंद्रित थी. तब और बाद में मेरी समझ यह थी कि मैं इस विचारधारा का प्रचार-प्रसार करूंगा."
उन्होंने लिखा कि...
"बीजेपी के मंच पर देश, धर्म, जाति और पंथ के बावजूद सभी समुदायों को भारतीय के रूप में एकजुट करने की नेताजी की विचारधारा का प्रचार करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ बीजेपी के ढांचे के भीतर एक आजाद हिंद मोर्चा बनाने का भी निर्णय लिया गया."
चंद्र कुमार बोस ने आगे कहा कि "इन प्रशंसनीय उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए मेरे उत्साही प्रचार प्रयासों को पश्चिम बंगाल में केंद्र या राज्य स्तर पर बीजेपी से कोई समर्थन नहीं मिला है. मैंने राज्य के लोगों तक पहुंचने के लिए बंगाल रणनीति का सुझाव देते हुए एक विस्तृत प्रस्ताव रखा था. मेरे प्रस्तावों को नजरअंदाज कर दिया गया."
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