लखनऊ, 16 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश के पिलखुआ में पुलिस हिरासत में एक व्यक्ति की मौत की मीडिया खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक को नोटिस भेजकर चार सप्ताह में जवाब मांगा है । आयोग की ओर से बुधवार को जारी एक बयान में कहा गया कि व्यक्ति की पुलिस हिरासत में 13 अक्टूबर को मौत हुई थी । उसे हत्या के एक मामले में पूछताछ के दौरान बर्बरता से पीटा गया था । बयान के अनुसार पूछताछ के दौरान व्यक्ति को लात मारी गयी, घूंसे से प्रहार किया गया, डंडों से पीटा गया, बिजली का करंट दिया गया और पेंचकस से छेदा गया । व्यक्ति के शव के एक वीडियो में उसके शरीर पर गंभीर चोटों के निशान साफ नजर आ रहे हैं ।
आयोग ने इस संबंध में मीडिया खबरों पर संज्ञान लेते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि पुलिस हिरासत में उक्त व्यक्ति के मानवाधिकार का घोर उल्लंघन हुआ है । इसके लिए राज्य के पुलिस बल की जवाबदेही बनती है । आयोग ने इस संबंध में उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है । साथ ही पूछा है कि इस संबंध में दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गयी और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कौन से कदम उठाये गये ।
राज्य के मुख्य सचिव को भी आयोग ने नोटिस जारी कर मृतक के परिजनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है । मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को चार हफ्ते के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है । मीडिया खबरों के मुताबिक प्रदीप तोमर पिलखुआ में अपने घर पर पत्नी से यह कहकर बाहर निकला था कि उसके छोटे भाई की बाइक का टायर पंचर हो गया है और वह उसकी मदद को जा रहा है । तोमर अपने 11 वर्षीय बेटे को साथ ले गया । रास्ते में उसे पुलिस पूछताछ के लिए उठा कर ले गयी । खबरों में बताया गया है कि तोमर के पुत्र ने बताया कि पुलिस वालों ने उसके पिता को पीटा और उसे भी थप्पड मारे । उसके मुंह में बंदूक की नली डालकर पुलिस वालों ने धमकाया कि उसने जो कुछ देखा, वह किसी को बताएगा नहीं ।
मीडिया खबरों में यह भी बताया गया है कि पुलिसकर्मी नशे में थे उसे स्थानीय अस्पताल तो ले जाया गया लेकिन कोई इलाज नहीं कराया गया और एक कमरे में बंद कर दिया गया । खबरों में बताया गया है कि बाद में पिलखुआ एसएचओ सहित पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया ।
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