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उरी अटैक का भेदिया कौन? आतंकियों को थी चप्पे- चप्पे की जानकारी

पढ़िए NIA की टीम को शुरुआती जांच में क्या क्या मिला?

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NIA की शुरुआती जांच में ये सामने आया है कि आतंकियों ने सेना के जवानों कुक हाउस और स्टोर रूम में बंद किया और उन्हें जलाकर मार डाला. सूत्रों के मुताबिक आतंकियों ने इन दो बिल्डिंग का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया था ताकि सेना के जवान जान बचाने के लिए बाहर न आ सकें. एनआईए सूत्रों के हवाले से ये भी खबर आ रही है कि आतंकियों को इस आर्मी बेस के चप्पे- चप्पे की खबर थी.

एनआईए अधिकारियों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक आतंकियों ने हमला करने से पहले ब्रिगेड हेडक्वार्टर के पास की पहाड़ियों में पूरा एक दिन गुजारा था.

स्नैपशॉट

कैसे हुआ था हमला?

  • सबसे पहले कॉम्पलेक्स के पश्चिमी भाग पर आतंकियों ने हमला किया.
  • चार आतंकियों ने पहले एक संतरी को मौत के घाट उतारा.
  • फिर चारों आतंकी सेना के जवानों के टेंट , किचन और स्टोर रूम की तरफ बढ़े.
  • चौथा आतंकी ऑफिसर मेस की तरफ गया.
  • स्टोर रूम में सेना के जवाब डीजल भर रहे थे.
  • 3 मिनट में आतंकियों ने 17 ग्रेनेड फेंके.
  • 16 जवानों की मौका-ए-वारदात पर मौत हो गई.
  • 32 जवान बुरी तरह से घायल हैं.
अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक, सेना को शक है कि 12 इन्फैंट्री ब्रिगेड मुख्यालय पर हुए हमले के लिए आतंकियों को किसी ऐसे व्यक्ति ने मदद की है, जिसे कैम्प के बारे में अंदरूनी जानकारी थी. शक ये भी जताया जा रहा है कि आतंकियों को ये तक पता था कि कैंप के अंदर ब्रिगेड कमांडर का दफ्तर और कार्यालय किस जगह पर स्थित है.

एक के बाद एक धमाकों के बाद पूरा इलाका धुएं से भर गया. आतंकियों को रास्ता नहीं सूझा और वो बैरक की तरफ चले गए. यहीं 19 साल के डोगरा सिपानी ने पहले आतंकी को मार गिराया. बाकी तीन आतंकियों ने जवाबी हमला किया और गोली सीधे डोगरा सिपाही के हेलमेट में जा लगी.

चूंकि बैरक खाली थे इसलिए आतंकियों ने 2 फ्लोर और 16 कमरों के साइड बैरक में पोजिशन ले ली. फिर सेना के 4 कमांडोज ने इसी साइड बैरक पर हमला बोला और तीनों आतंकियों को ढेर कर दिया.

घटनास्थल से एक GPS सेट मिला है जिसकी जांच के बाद ये साबित हो सकता है कि आतंकी कहां से आए थे और किन-किन रास्तों का इस्तेमाल किया गया था.

NIA के हाथ क्या लगा?

सूत्रों के हवाले से ये खबर भी आ रही है कि एनआईए ने चारों आतंकियों के डीएनए सैंपल और फिंगरप्रिंट भी ले लिए हैं. चारों आतंकियों की डेड बॉडी को दफना दिया गया है.

अफसोस की बात है कि अभी तक अभी तक जांच एजेंसी को घटनास्थल से पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं जिससे कि इस हमले का लिंक पाकिस्तान से जोड़ा जाए.

आतंकियों के राइफल पर भी किसी तरह के सबूत नहीं है. न ही इन हथियारों पर कुछ लिखा है और न ही कोई मार्क है. ग्रेनेड और लॉन्चर पर भी कुछ नहीं लिखा है और किसी तरह के निशान नहीं हैं. एनआईए अधिकारियों के मुताबिक आतंकियों के पास से मिले मेडिकल किट और खाने के पैकेट पर मेड इन पाकिस्तान लिखा हुआ है. हालांकि ये किसी ठोस जानकारी की तरफ इशारा नहीं कर रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी पूरी खबर आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं.

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