पटना हाईकोर्ट (Patna HC) ने माना है कि कर्ज नहीं चुकाने वाले लोगों से उनके वाहनों को बलपूर्वक गुंडों के माध्यम से या एजेंटों के माध्यम से जब्त कराना संविधान के खिलाफ है. कोर्ट ने कहा कि ये संविधान में दिए गए जीवन जीने के अधिकार और आजीविका के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है और इस तरह के मामलों में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि कर्ज की वसूली के लिए बैंकों और सभी वित्तीय संस्थानों को कानून का पालन करते हुए इसमें जिला प्रशासन की मदद लेनी चाहिए. पटना हाई कोर्ट के जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की सिंगल बेंच ने इस बारे में धनंजय सेठ बनाम भारत सरकार के मामले में आदेश जारी किया है. बेंच के पास 2020 में फाइनेंस कंपनियों के खिलाफ एक-एक कर करीब 30 मामले सामने आए थे और उन पर 2 साल से भी ज्यादा समय तक सुनवाई चली.
अदालत ने बिहार के सभी पुलिस अधीक्षकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि किसी भी वसूली एजेंट द्वारा किसी भी वाहन को जबरन जब्त नहीं किया जाए.
बता दें कि अदालत ने दोषी बैंकों और बाकी वित्तीय कंपनियों पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है.
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