फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में डॉन अतीक अहमद भी मैदान में है. अचानक अतीक का मैदान में आना कई सवाल खड़े कर रहा है. राजनीतिक पार्टियां भी अतीक की दस्तक से अपने-अपने नफे और नुकसान का आकलन कर रही हैं. क्योंकि फूलपुर का चुनाव सिर्फ एक सीट का चुनाव नहीं है, बल्कि इस सीट के हार-जीत के बड़े मायने हैं. साथ ही इस सीट पर हर दिन समीकरण बदल रहे हैं. अब मुस्लिम वोट बांटने के लिये अतीक दम भर रहे हैं.
फूलपुर में अतीक को लेकर 'जितने मुंह उतने समीकरण'
किसी ने ये सोचा भी नहीं था कि फूलपुर उपचुनाव में अतीक अहमद की दावेदारी होगी. क्योंकि यूपी की देवरिया जेल में बंद डॉन को किसी भी पार्टी से टिकट मिलने की उम्मीद नहीं थी. लेकिन नामांकन के आखिरी दौर में जब अतीक की पत्नी शाईश्ता ने अपना और अतीक का पर्चा भरा तो कयास लगाए जाने लगे. सवाल था कि आखिर किस मकसद से अतीक ने दावेदारी ठोकी है? इसी बात पर हर कोई अपनी-अपनी तरह से अतीक की मौजूदगी का राजनीतिक समीकरण बैठा रहा है.
डॉन की दस्तक से बीजेपी पर उठी उंगली
लंबे समय तक कांग्रेसियों और समाजवादियों के हाथ में रही फूलपुर सीट पर पहली बार 2014 में केशव मौर्य ने कमल का फूल खिलाया. केशव मौर्य के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद ये सीट खाली हुई. लिहाजा बीजेपी इसे अपने पास से जाने नहीं देना चाहती.
पटेल वोटों का समीकरण देखते हुए बीजेपी ने बनारस के पटेल उम्मीदवार को उतारा. इधर बीजेपी को घेरने में जुटी एसपी ने भी इलाहबाद के नागेन्द्र पटेल को चुनाव मैदान में उतारा. इसके बाद बीजेपी का समीकरण न सिर्फ गड़बड़ाने लगा बल्कि बीजेपी के उम्मीदवार कौशलेन्द्र को लेकर बाहरी यानी ‘बनारसी/मिर्जापुरी पटेल’ होने का प्रचार तेज हो गया.
विपक्षी दलों का आरोप है कि खुद को घिरता देख बीजेपी ने ध्रुवीकरण का पासा फेंका है और विपक्षी दलों की एकजुटता खत्म करने के लिए और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए अतीक अहमद को मुहरा बनाया है.
कांग्रेस ने खुलकर लगाए आरोप
अतीक के चुनाव मैदान में आने के बाद कांग्रेस खुलकर बीजेपी पर आरोप लगा रही है. पार्टी का कहना है कि अतीक अहमद को जेल से चुनाव मैदान तक लाने में केशव प्रसाद मौर्य का हाथ है. कांग्रेस के अभय अवस्थी कहते हैं कि अतीक अब सिर्फ माफिया नहीं हैं बल्कि राजनीति के मजे खिलाड़ी हैं. 2004 में समाजवादी पार्टी से वो सांसद भी रह चुके हैं. लेकिन दबे पांव अतीक का चुनावी मैदान में उतरना क्या बताता है?
अतीक की इस दावेदारी को समझने लगे हैं वोटर...
फूलपुर में पटेलों के गढ़ शेरडीह इलाके के नाई की दूकान पर अतीक की उम्मीदवारी की ही चर्चा सुनाई पड़ी. यहीं मिले बृज मोहन पटेल ने बड़े ठंडे अंदाज में बताया
अब लोग इतने बेवकूफ नहीं हैं. हमें पता है कि अतीक क्यों आये हैं और क्यों उन्हें चुनाव मैदान में उतारा गया है.
ऐसी ही फूलपुर के फाफामऊ इलाके के बुज़ुर्ग इम्तियाज ने कहा कि अतीक को ऐसा नहीं करना चाहिए. मैदान में ठीक से सोच कर उतरना चाहिए था. कोई अपना वोट अब बर्बाद नहीं करेगा.
फूलपुर में मुस्लिम वोटरों की संख्या तकरीबन 2 लाख है और यादव भी इसी के आसपास हैं. बीएसपी के समर्थन के बाद अब दलित वोट भी एसपी के खाते में आ सकते हैं. ऐसे में अगर मुस्लिम वोट नही बंटे तो बीजेपी के लिए फूलपुर में फूल खिलाना काफी मुश्किल होगा.
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