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Ajay Maken के राजस्थान छोड़ने से क्या सचिन पायलट खेमा पड़ेगा कमजोर?

अजय माकन ने राजस्थान में अब आगे काम नहीं करने की मंशा जताई है.

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कांग्रेस (Congress) के प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने राजस्थान में अब आगे काम नहीं करने की मंशा जताई है. महत्वपूर्ण बात यह है कि खड़गे को लिखे पत्र में माकन ने 25 सितंबर के जयपुर के राजनीतिक घटनाक्रम को अपने नए कदम का आधार बताया है. माकन ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि यह पार्टी के हित में है कि राजस्थान के लिए नया प्रभारी नियुक्त किया जाए. माकन ने यह लेटर गत आठ नवंबर को लिखा था.

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प्रदेश में मुख्यमंत्री पद पर बदलाव को लेकर 25 सितंबर कांग्रेस आलाकमान की तरफ संदेशवाहक के रूप में भेजे गए माकन पर रायशुमारी से पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के नाम को लेकर विधायकों पर दबाव बनाने के आरोप लगे थे. प्रदेश के नेताओं ने उन्हें लेकर यहां तक कहा था कि प्रभारी को अपनी भूमिका का सही तरीके से निर्वाहन करना चाहिए.

क्या गहलोत खेमे को होगा फायदा?

माकन का एक इसी तरह का वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वे पायलट के पक्ष में बयान देते दिखाई दे रहे है. अब माकन के प्रभारी नहीं रहना पायलट खेमे के लिए झटका साबित हो सकता है. वहीं कांग्रेस की अनदरूनी सियासत में गहलोत खेमे के लिए फायदेमंद होगा.

इस सियासी फेरबदल के नुकसान को समझते हुए पायलट खेमे के विधायकों बयान सामने आने लगे है. विधायक खिलाड़ीलाल बैरवा और वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा कि 25 सितंबर की घटना से आहत होकर अजय माकन ने प्रदेश प्रभारी का पद छोड़ा है. यह हमारे लिए शर्मिंदगी की बात है. बैरवा ने यहां तक कहा कि

प्रदेश में फिर से सरकार बनानी है तो 25 सितंबर की घटना का पटाक्षेप होना चाहिए. वहीं पायलट समर्थक एक और नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने लिखा कि राजस्थान के प्रभारी कांग्रेस महासचिव अजय माकन का इस्तीफा उन सभी नेताओं के लिये एक बड़ा सबक है, जो अपनी कुर्सी बचाने के लिये पार्टी हाई कमान को ब्लैकमेल और बेइज्जत करते हैं.
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अपने इस पत्र में माकन ने कहा है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ दिसंबर के प्रथम सप्ताह में राजस्थान में दाखिल होगी और चार दिसंबर को उपचुनाव भी है, ऐसे में जरूरी है कि जल्द से जल्द नया प्रभारी नियुक्त किया जाए. राज्य की सरदारशहर विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव हो रहा है. ऐसे में नए प्रभारी की नियुक्ति की जाए.

25 सितंबर को क्या हुआ था?

25 सितंबर को राजस्थान कांग्रेस में चली ​उठापटक के बाद संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने माकन पर सीधा हमला बोलते हुए कहा था कि जो लोग सरकार गिराने की साजिश करते रहे, कांग्रेस की सरकार के खिलाफ बयान देते रहे, डिप्टी चीफ मिनिस्टर होते हुए और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष होते हुए, आज उनको चीफ मिनिस्टर बनाने के लिए सेक्रेटरी जनरल इन्चार्ज आ गए. धारीवाल ने यहां तक कहा था कि सेक्रेटरी जनरल इन्चार्ज पर मेरा चार्ज है कि वह पक्षपातपूर्ण तरीके से यहां के विधायकों से बात कर रहे थे और उनको कई दिनों से ये सूचनाएं आ रही थी कि सचिन पायलट के पक्ष में प्रचार करने के लिए कहा करते थे. हमारे पास इस बात के सबूत हैं. वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी माकन की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे.

माकन ने कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे को लेटर लिखकर प्रभारी पद छोड़ने का आग्रह ऐसे समय किया है, जब अनुशासनहीनता के आरोप में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी तीन नेताओं को नोटिस जारी किए हुए करीब 50 दिन का समय हो चुका है, लेकिन अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है.
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माकन ने खड़गे को भेजे पत्र में कहा है कि वह श्रमिक संगठनों और गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से दिल्ली पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं, ताकि प्रदूषण, झुग्गी-बस्तियों, रेहड़ी-पटरी वालों और अनाधिकृत कॉलोनियों के निवासियों से जुड़े मुद्दे उठा सकें, उन्होंने लिखा कि मेरा पिछली तीन पीढ़ियों से कांग्रेस की विचारधारा से जुड़ाव है और चार दशक से सक्रिय कांग्रेस सदस्य होने के कारण मैं राहुल गांधी का धुर समर्थक बना रहूंगा. राहुल गांधी पर मुझे इस कदर विश्वास है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.

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