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हिमाचल चुनाव: मंडी सीट पर ‘पार्टी के खिलाफ परिवार की जंग’

हिमाचल में बीजेपी का चेहरा हैं प्रेम कुमार धूमल और कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह पर ही जताया है भरोसा

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हिमाचल प्रदेश चुनाव को कांग्रेस के वीरभद्र सिंह और बीजेपी के प्रेम कुमार धूमल के बीच की लड़ाई की तरह देखा जा रहा है.

दोनों नेताओं की विधानसभा सीटों के लिहाज से भी ये मुकाबला दिलचस्प रहने वाला है. दोनों ही अपनी पिछली जीती हुईं सीटों को छोड़कर दूसरी जगह से चुनाव लड़ रहे हैं.

इन दोनों सीटों के अलावा मंडी की सीट पर पूरे हिमाचल की नजरें टिकी हैं. मंडी जिले की यह सीट अनरिजर्व है.

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अनिल ने पलटा पांसा, क्या पलटेगी BJP की किस्मत

बात करें क्षेत्र की राजनीति की, तो यहां हमेशा से ही कांग्रेस का बोलबाला रहा है. 1990 में हुए विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो 1977 से हुए अब तक विधानसभा चुनावों में बाजी कांग्रेस के हाथ ही लगी है.

मंडी विधानसभा क्षेत्र पर 1977 से एक ही परिवार का कब्जा है. यह परिवार है पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम का. फिलहाल यहां से उनके बेटे अनिल शर्मा विधायक हैं.

अनिल का एक दशक से मंडी विधानसभा पर कब्जा है. अभी तक उन्होंने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस के हाथ के साथ ही चुनाव लड़ा है. लेकिन अब उन्होंने पाला बदल लिया है.

सरकार में पंचायती राज मंत्री अनिल शर्मा ने, पिछले दिनों पार्टी में हुई खटपट के बाद कांग्रेस को अलविदा कह दिया और फिलहाल बीजेपी की टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं.

फिलहाल मंडी की आबादी 112,238 है. क्षेत्र में कुल मतदाता की संख्या 69,270 है. हिमाचल प्रदेश में मतदान 9 नवंबर को होना है और वोटों की गिनती 18 दिसंबर को की जाएगी.

स्वास्थ्य मंत्री की बेटी भी मैदान में

कांग्रेस के खेमे से बीजेपी खेमे में पहुंचे क्षेत्रीय राजनीति के कद्दावर नेता अनिल के जाने से कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है. अब कांग्रेस ने चंपा ठाकुर को मैदान में उतारा है.

चंपा ठाकुर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह की बेटी हैं और जिला परिषद की अध्यक्ष हैं. चंपा के नामांकन के बाद इस सीट पर जंग दोनों नेताओं के बीच तेज हो गई है.

इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी के नरेंद्र कुमार और साथ ही चार अन्य निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में जनता के बीच अपनी किस्मत आजमाने उतरे हैं.

हिमाचल प्रदेश की महत्वपूर्ण सीटों में शुमार मंडी विधानसभा पर एक तरफ एक ऐसा परिवार है, जो पिछले विधानसभा चुनावों से अजेय रहा है, दूसरी तरफ सरकार में ताकतवर मंत्री की बेटी.

आंकड़ों के मुताबिक, यहां वर्चस्व पार्टी का नहीं एक परिवार का रहा है, तो देखना दिलचस्प रहेगा कि जनता पार्टी को चुनती है या फिर परिवार को.

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