दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी को आदित्य बिड़ला ग्रुप और सहारा ग्रुप ने 65.1 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी.
केजरीवाल ने एक रैली को संबोधित करने के दौरान कुछ दस्तावेज हवा में लहराए, जिनमें कथित तौर पर मोदी को पैसे देने संबंधी खुलासे किए गए थे. केजरीवाल ने यह भी कहा कि जांच एजेंसियों ने रेड के दौरान बरामद किए गए इन दस्तावेजों की 'सफाई' भी कर दी है.
क्विंट को ये दस्तावेज मिले हैं. प्रशांत भूषण ने इनके आधार पर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि दस्तावेजों में उन प्रभावशाली लोगों के नाम हैं, जिन्हें कंपनियों ने पैसा दिया था.
इन दस्तावेजों में सहारा ग्रुप और बिड़ला समूह द्वारा कुछ प्रभावशाली लोगों को घूस देने का खुलासा हुआ है. डायरी में लिखे गए नामों की जांच की जानी चाहिए थी, लेकिन नहीं की गई. यह पता चला है कि दोनों कंपनियां अपने केस के निपटारे के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पहुंचीं.
अक्टूबर 2015 में आदित्य बिड़ला समूह की एक कंपनी हिंडाल्को पर कोयला घोटाले के संबंध में सीबीआई की रेड पड़ी थी.
इस दौरान मिले दस्तावेजों मे प्रभावशाली लोगों को घूस देने संबंधी रिकॉर्ड थे. सीबीआई ने इस बारे में कोई जांच नहीं की. इसकी जगह उसने ये दस्तावेज इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को सौंप दिए.
जब समूह के एक्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट शुभेन्दु अमिताभ का लैपटॉप जब्त किया, तब उसमें 16 नवंबर 2012 की एक एंट्री थी, जिसमें लिखा हुआ था 'गुजरात सीएम- 25 करोड़ ( 12 डन- रेस्ट?)
जब आईटी डिपार्टमेंट ने अमिताभ से इस बारे में सवाल किया कि सी और एम का क्या मतलब है, तो उन्होंने कहा, ''यह पूरी तरह निजी नोट्स हैं. ये एसएमएस और ईमेल ट्रांसमिशन के लिए नहीं थे. पहला नोट गुजरात अलकाली केमिकल्स में चल रहे विकास के बारे में केवल मेरी जानकारी के लिए था.''
सहारा ग्रुप ने मोदी को दिए 40.1 करोड़ रुपये?
22 नवंबर, 2014 को इनकम टैक्स ने सहारा इंडिया ग्रुप के दिल्ली और नोएडा ऑफिस पर रेड मारी थी. इस दौरान 135 करोड़ रुपये से संबंधित दस्तावेज बरामद हुए. ये पैसे दस महीने की छोटी सी अवधि में दिए गए थे.
एक और एक्सेल शीट में खुलासा हुआ कि अहमदाबाद (मोदीजी!) को आठ बार में 40.1 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ.
30 अक्टूबर, 2013 को पहली खेप में 2,5 करोड़, 12,27 और 29 नवंबर 2013 को 5.1, 2.5 और 5 करोड़ का भुगतान हुआ. वहीं 6 और 19 दिसंबर को 5-5 करोड़ रुपये दिए गए. इसके बाद की आखिरी दो खेप 13 और 28 जनवरी 2014 को लगीं, जिनमें भी 5-5 करोड़ दिए गए.
एक्सेल सीट के मुताबिक, इन पैसों का भुगतान जायसवाल पी नाम के आदमी ने किया.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में प्रशांत भूषण ने एसआईटी के गठन की मांग की है.
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