ADVERTISEMENTREMOVE AD

असम के CM हिमंत बिस्वा ने कहा-राज्य में फिलहाल जारी रहेगा विवादित AFSPA कानून

हिमंता सरमा ने आशंका जताई कि अगर राज्य से AFSPA वापस लिया गया तो आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई में दिक्कत होगी

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

असम (Assam) के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने सोमवार, 20 दिसंबर को कहा कि असम सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम, 1958 (AFSPA) राज्य में जारी रहेगा और इसे वापस लेने का निर्णय तभी लिया जाएगा जब शांति लंबे समय तक बनी रहे.

उन्होंने आशंका व्यक्त की कि अगर राज्य से अफ्सपा वापस ले लिया जाता है तो आतंकवादी समूहों के खिलाफ उसी तरह से जवाबी कार्रवाई नहीं कर सकते.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

शांति बनी रही तो AFSPA  की वापसी पर फैसला लेंगे- हिमंता

असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी राज्य सरकार AFSPA को जारी नहीं रखना चाहती, यदि कानून-व्यवस्था की स्थिति शांतिपूर्ण और अनुकूल है.

"मैं यह केवल हमारे राज्य के संदर्भ में कह रहा हूं, नागालैंड नहीं क्योंकि मेरे पास ऐसा करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. नागालैंड पर, मेरा कोई आंकलन नहीं है. मैं उस राज्य में मौजूदा स्थिति पर टिप्पणी नहीं करना चाहता."

उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "असम सरकार का मानना ​​है कि अगर बाद में भी इस तरह की शांतिपूर्ण स्थिति बनी रहती है तो हम फैसला कर पाएंगे कि क्या हमें पूरे असम में अफस्पा की जरूरत है या हमें कुछ हिस्सों में इसकी जरूरत है।"

AFSPA की वापसी से राज्य की शांति को खतरा- हिमंता

उन्होंने अरुणाचल प्रदेश का उदाहरण दिया, जिसने तीन जिलों को छोड़कर राज्य के कई हिस्सों से केंद्रीय गृह मंत्रालय के परामर्श के बाद अधिनियम को वापस लेने का फैसला किया. उन्होंने कहा,

"अफस्पा सरकार का आह्वान नहीं हो सकता है. इसे राज्य की समग्र स्थिति, कानून और व्यवस्था की स्थिति पर निर्भर होना चाहिए. अब मान लीजिए कि मैं वापस लेता हूं, तो क्या उग्रवादी संगठनों द्वारा इसका बदला लिया जाएगा? यदि वे वापस नहीं लेते हैं और हम करो, सेना कोई भी ऑपरेशन नहीं कर पाएगी जिसका अर्थ है कि आप अराजकता को आमंत्रित कर रहे हैं. इसलिए मुझे लगता है कि AFSPA की वापसी राज्य की शांति और स्थिरता से जुड़ी हुई है”
ADVERTISEMENTREMOVE AD

नागालैंड विधानसभा ने पास किया AFSPA को हटाने की मांग वाला प्रस्ताव

नागालैंड विधानसभा ने सोमवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें केंद्र से उत्तर पूर्व और विशेष रूप से राज्य से AFSPA को हटाने की मांग की गई ताकि 'नागा राजनीतिक मुद्दे का शांतिपूर्ण राजनीतिक समाधान खोजने के लिए चल रहे प्रयासों को मजबूत किया जा सके.'

नागालैंड के मोन जिले में चार दिसंबर को एक उग्रवाद-विरोधी कार्यवाई में सुरक्षा बलों ने 13 नागरिकों को मार गिराया था, जिसके बाद नागरिक समूहों और अधिकार कार्यकर्ताओं ने कानून को निरस्त करने के मांग ने जोर पकड़ ली है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

नागालैंड और मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने भी अधिनियम को रद्द करने की मांग की थी. असम सरकार ने 28 अगस्त से राज्य के मौजूदा "अशांत क्षेत्र" की स्थिति को छह महीने के लिए बढ़ा दिया था, जिससे राज्य में AFSPA जारी रहा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×