कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले शनिवार (23 दिसंबर) को पार्टी के संगठन में बड़ा बदलाव किया और कई राज्यों के प्रभारी महासचिव को बदल दिया. इसी क्रम में पार्टी ने वरिष्ठ नेता अविनाश पांडे को उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव नियुक्त किया. वो प्रियंका गांधी की जगह लेंगे.
अविनाश पांडे ने क्या कहा?
नियुक्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए अविनाश पांडे ने 'X' पर लिखा, 'प्रियंका जी, मैं आपकी विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लेता हूं. प्रभारी महासचिव के रूप में, मैं अपने पद में दिए गए अधिकार और मुझे दिए गए जनादेश का अधिकतम लाभ उठाऊंगा."
अविनाश पांडे कौन हैं?
पूर्व राज्यसभा सांसद अविनाश पांडे अभी तक झारखंड में पार्टी के प्रभारी थे और कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य थे.
मूल रूप से महाराष्ट्र के नागपुर निवासी पांडे पेशे से वकील हैं. वो एनएसयूआई, यूथ कांग्रेस होते हुए राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए. अपने दशकों लंबे राजनीतिक करियर के दौरान उन्होंने राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में विभिन्न पदों पर काम किया है.
पांडे 2010 में महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद चुने गये थे. इसके अलावा वो महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य और राज्य में कई प्रशासनिक समितियों के सदस्य भी रह चुके हैं.
कब सुर्खियों में आए पांडे?
2018 के राजस्थान चुनाव से पहले अविनाश पांडेय को राज्य का प्रभारी नियुक्त किया गया था. हालांकि, सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच जबरदस्त खींचतान के दौरान उन्हें पद से हटा दिया गया था. पायलट गुट का दावा था कि पांडे तात्कालीक सीएम अशोक गहलोत के करीबी हैं और वो उनके साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जिसकी वजह से सचिन के समर्थकों को निशाना बनाया जा रहा है.
हालांकि, उन्हें बीच में उन्हें कुछ समय के लिए बिहार भी भेजा गया था, लेकिन जनवरी 2022 में उन्हें झारखंड के प्रभारी AICC महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया.
इसके अलावा 2008 में राज्यसभा चुनाव के दौरान भी पांडे सुर्खियों में आए थे, जब वो उद्योगपति राहुल बजाज के खिलाफ महाराष्ट्र से राज्यसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वो एक वोट से हार गये थे.
अविनाश पांडेय को क्यों भेजा गया यूपी?
26 जुलाई 1958 को जन्में अविनाश पांडे का उत्तर प्रदेश से पुराना नाता है. 65 वर्षीय पांडे कांग्रेस का ब्राह्मण चेहरा है. उन्हें राहुल गांधी कैंप का माना जाता है. 2014 लोकसभा चुनाव के वक्त जब मधुसूदन मिस्त्री को यूपी का प्रभारी बनाया गया था तो उस वक्त अविनाश पांडे यहां सह प्रभारी हुआ करते थे. ऐसे में वो यूपी की सियासत से परिचित हैं.
वहीं, यूपी में अजय राय के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से पार्टी में कई बदलाव भी किए जा रहे हैं. राय यूपी में संगठन को फिर से खड़ा करने की कोशिश में जुटे हैं. इसी क्रम में उन्होंने नई कार्यकारिणी में 16 उपाध्यक्ष, 38 महासचिव और 76 सचिवों की नियुक्ति की है, जिसमें ज्यादातर पदाधिकारियों की उम्र 50 साल के करीब है. इसके अलावा राय ने दलित, पिछड़े, अति पिछड़े और अल्पसंख्यकों को अपनी टीम में जगह देकर जातीय समीकरण को भी साधने की कोशिश की है.
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी पहले से ही ब्राह्मणों को साधने में जुटी हैं. समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव स्वयं ब्राह्मणों के कई सम्मेलन में शिरकत कर रहे हैं जबकि बीएसपी चीफ मायावती एक बार फिर अपनी 2007 की सोशल इंजीनियिरिंग पर काम कर रही हैं. ऐसे में कांग्रेस अपने पुराने ब्राह्मण वोटबैंक को साधने की कोशिश में तमाम प्रयास कर रही है. इसी क्रम में अविनाश पांडे की नियुक्ति को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
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