पंजाब विधानसभा चुनावों (Punjab Elections 2022) में आम आदमी पार्टी (AAP) की ऐसी आंधी आई है कि इसने सूबे के सबसे शक्तिशाली राजनैतिक परिवार को उखाड़ फेंका है. 3 दशक में ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि बादल परिवार (Badal family) को कोई सदस्य पंजाब की विधानसभा में नहीं होगा. ये पंजाब की राजनीति में एक नए अध्याय सा है, जहां सिर्फ दूसरी बार चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी सत्ता संभालने जा रही है और कुर्सी पर काबिज होंगे भगवंत मान (Bhagwant Mann), जबकि वे जो पंजाब की राजनीति की हवा तय करने के लिए मशहूर थे, खुद 'हवा हो गए.
आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों ने बादल परिवार ही नहीं बल्कि पंजाब से पूरे विपक्ष का सफाया किया है. पंजाब चुनाव लड़ने वाले बादल परिवार के सभी सदस्य अपने-अपने गढ़ से चुनाव हार गए हैं.
इससे पहले ये 1992 में हुआ था कि बादल परिवार का कोई सदस्य पंजाब विधानसभा में न पहुंचे, वो भी तब हुआ था जब शिरोमणि अकाली दल ने राज्य विधानसभा चुनावों का बहिष्कार किया था.
बादल परिवार पर वंशवाद की राजनीति को बढ़ावा देने और शिरोमणि अकाली दल को एक परिवार संचालित संगठन में बदलने का आरोप लगाया गया है.
परिवार ही नहीं रिश्तेदार भी हार गए अपनी सीटें
प्रकाश सिंह बादल मुक्तसर साहिब जिले की लांबी सीट पर 'आप' के गुरमीत सिंह खुदियां से करीब 10,000 वोटों से हार गए.
प्रकाश सिंह बादल के बेटे सुखबीर सिंह बादल भी जलालाबाद विधानसभा में 'आप' के जगदीप कंबोज से लगभग 30,000 वोटों से हार गए.
पंजाब के वित्त मंत्री और सुखबीर बादल के चचेरे भाई मनप्रीत सिंह बादल बठिंडा शहरी सीट पर आप के जगरूप सिंह गिल से हार गए. उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था.
बादल परिवार पर ऐसा आसमान फटा है कि सिर्फ परिवार ही नहीं, बल्कि अधिकांश रिश्तेदार भी चुनाव हारे हैं.
सुखबीर बादल के बहनोई बिक्रम सिंह मजीठिया को अमृतसर पूर्व से AAP की जीवन ज्योत कौर ने हरा दिया.
प्रकाश सिंह बादल के दामाद आदिश प्रताप सिंह पट्टी विधानसभा सीट आप के लालजीत सिंह भुल्लर से हार गए.
हालांकि, बिक्रम सिंह मजीठिया की पत्नी गनीवे कौर ने अपने पति के घरेलू मैदान मजीठा विधानसभा सीट से जीत हासिल की है.
अपने गढ़ में धराशाई हुए धुरंधर
पांच बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल मुक्तसर जिले की लांबी सीट से चुनाव मैदान में थे. इस हार को इतनी आसानी से नहीं पचाया जा सकता क्योंकि जिस सीट से वो हारे हैं, ये उनका और बादल परिवार का गढ़ माना जाता था.
इस सीट से बादल 1997 से लगातार जीत रहे थे. वो 1997 से पांच बार इस सीट से लड़ चुके थे और हर बार जीते. इस चुनाव में उन्हें आम आदमी पार्टी के गुरमीत सिंह खुड्डियां से 11, 396 वोटों से हार गए. ऐसे ही बादल परिवार के कई शेर अपने ही घर में धराशाई हुए हैं.
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