देश के पूर्व स्टार फुटबॉल खिलाड़ी बाइचुंग भूटिया ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी का ऐलान कर दिया है. गुरुवार को दिल्ली में उन्होंने ‘हमरो सिक्किम' पार्टी की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस में उन्होंने खुद को एक बाहरी की तरह महसूस किया. नई पार्टी उनके गृह राज्य सिक्किम पर आधारित होगी.
टीएमसी में मिला 'बाहरी' का तमगा
बाइचुंग भूटिया ने कहा कि पश्चिम बंगाल की राजनीति का हिस्सा होने और कई वर्षों तक बंगाल के टॉप क्लबों के लिए फुटबॉल खेलने के बाद भी वह ‘बाहरी' तमगा से छुटकारा नहीं पा सके थे, इसलिए अब वह अपनी जड़ों की तरफ लौट आये हैं.
‘‘मैं कई वर्षों तक बंगाल के लिए खेला, लेकिन वहां हमेशा ‘बाहरी’ का तमगा रहा. टीएमसी के प्रति मेरी प्रतिबद्धता वहां नहीं थी. मुझे लगता है कि पार्टी में बने रहने के लिए मेरी ओर से यह अनुचित था कि मैं प्रतिबद्ध नहीं हूं. अब मैं लौट रहा हूं. मेरा परिवार, मेरा घर, सब कुछ सिक्किम में है. अब मैं खुद को प्रतिबद्ध करने में सक्षम हो जाऊंगा. मुझे लगता है कि मैं यहां और ज्यादा योगदान कर सकता हूं.’’बाइचुंग भूटिया
ममता से हुए मतभेद
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में उनकी हार के तुरन्त बाद टीएमसी और भूटिया के बीच मतभेद पैदा हो गये थे, क्योंकि उन्होंने गोरखालैंड मुद्दे पर पार्टी के रुख का समर्थन नहीं किया था. इसी साल फरवरी में बाइचुंग ने टीएमसी से बरसों पुराना नाता तोड़ लिया था. इस बारे में उन्होंने कहा, ‘‘गोरखालैंड के संबंध में एक या दो प्रमुख मुद्दे है, जिन पर मैं सहमत नहीं था. मैंने इस मुद्दे पर टीएमसी के रुख का समर्थन नहीं किया.''
भूटिया ने कहा कि उनकी पार्टी जाति और धर्म की छोटी राजनीति से ऊपर उठने की कोशिश करेगी, और सिक्किम को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएगी, क्योंकि यह मौजूदा राज्य सरकार के तहत भ्रष्ट लोगों के लिए एक सुरक्षित आश्रय बन गया है.
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मिली हार
बता दें कि फुटबॉल खिलाड़ी के तौर पर खास पहचान बनाने वाले बाइचुंग ने साल 2011 में इस खेल से संन्यास ले लिया और 2013 में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस से जुड़ गए. उनकी लोकप्रियता को देखते हुए टीएमसी ने उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में दार्जिलिंग सीट से उतारा था, लेकिन वे चुनाव हार गए थे. इसके बाद साल 2016 में भी टीएमसी ने उन्हें विधानसभा चुनाव का टिकट दिया, लेकिन इसमें भी वो जीन नहीं पाए.
(इनपुट: भाषा)
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