- भरोसा तोड़ने का आरोप
- धोखाधड़ी का आरोप
- फर्जी कागजात को असली बताने और साजिश करने का आरोप
ऐसे आरोपों से घिरे हैं बिहार के नए 'शिक्षामंत्री' मेवालाल चौधरी. 'दागी' विधायक को शिक्षा मंत्री का ओहदा देने पर अब नीतीश कुमार की किरकिरी हो रही है. वो मेवालाल चौधरी जो करीब तीन साल पहले कथित 'भर्ती घोटाले' के बाद बीजेपी के निशाने पर थे, तब विपक्ष में बैठे सुशील कुमार मोदी मेवालाल की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे. मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तब बिहार के राज्यपाल हुआ करते थे. उनकी ही अनुशंसा पर फरवरी 2017 में मेवालाल के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था और जांच की सिफारिश भी हुई थी.
नीतीश का संदेश!
मेवालाल पर आक्रामक रही बीजेपी अब खुद सरकार में है और नीतीश कुमार ने उन्हें शिक्षामंत्री बना दिया है. ऐसे में क्या नीतीश कुमार, बीजेपी को कोई संदेश देना चाहते हैं? ऐसा हो सकता है कि कम सीटों के बावजूद मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार बता देना चाहते हैं कि वो किसी 'दबाव' में नहीं हैं और अपनी 'इंडिपेंडेंट' वाली छवि बनाए रखेंगे. नीतीश को पता होगा कि बीजेपी को मेवालाल चौधरी का मंत्री बनाया जाना पसंद नहीं आएगा लेकिन इसके बावजूद नीतीश कुमार दिखाना चाह रहे होंगे कि उनकी सरकार उनके ही तरीके और पसंद-नापसंद से चलेगी.
आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव का ट्वीट भी कमोबेश यही इशारा कर रहा है, वो लिखते हैं- जो बीजेपी पहले मेवालाल को खोज रही थी वो आज मेवा मिलने पर मौन धारण किए हुए है.
‘तेजस्वी जहां पहली कैबिनेट में पहली कलम से 10 लाख नौकरियां देने को प्रतिबद्ध था वहीं नीतीश ने पहली कैबिनेट में नियुक्ति घोटाला करने वाले मेवालाल को मंत्री बना अपनी प्राथमिकता बता दिया. विडंबना देखिए जो भाजपाई कल तक मेवालाल को खोज रहे थे आज मेवा मिलने पर मौन धारण किए हैं.’लालू प्रसाद यादव
वहीं दूसरी तरफ दागी विधायक भी पार्टी के मुखिया का हाथ सिर पर रखा देखकर ‘फॉर्म’ में दिख रहे हैं. आजतक न्यूज चैनल के रिपोर्ट ने जब खुद मेवालाल चौधरी से उनपर लगे आरोपों पर पूछ लिया तो वो कहते नजर आए कि ‘इसपर नहीं विकास पर बात कीजिए. चौतरफा विकास हो, शिक्षा-कृषि में विकास हो.’
वहीं दूसरी तरफ दागी विधायक भी पार्टी के मुखिया का हाथ सिर पर रखा देखकर 'फॉर्म' में दिख रहे हैं. आजतक न्यूज चैनल के रिपोर्ट ने जब खुद मेवालाल चौधरी से उनपर लगे आरोपों पर पूछ लिया तो वो कहते नजर आए कि 'इसपर नहीं विकास पर बात कीजिए. चौतरफा विकास हो, शिक्षा-कृषि में विकास हो.'
कुल मिलाकर ऐसे फैसलों से अपनी ‘सुशासन बाबू’ वाली छवि पर बट्टा लगते देखकर भी नीतीश कुमार किसी भी सूरत में बीजेपी के दबाव में नहीं दिखना चाहते और इसे वो बार-बार अपने बयानों और फैसलों से जाहिर भी कर रहे हैं.
भर्ती घोटाले से लेकर पत्नी की मौत के मामले में लग रहे आरोप
पिछड़ा वर्ग के कोईरी जाति से आने वाले मेवालाला तारापुर सीट से विधायक हैं. एमएससी हैं औ पीएचडी भी किया है. सबसे ज्यादा संपत्ति रखने वाले मंत्रियों में भी मेवा लाल चौधरी टॉप पर हैं, जिनके पास 12.31 करोड़ रुपये की संपत्ति है. साल 2012 में 161 सहायक प्रोफेसर-सह-जूनियर वैज्ञानिकों की नियुक्ति में कथित अनियमितताओं को लेकर सुर्खियों में आए थे, जब वो भागलपुर जिले में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति थे, तब ये कथित घोटाला सामने आया था. इंटरव्यू में फेल कर दिए गए अभ्यर्थियों के द्वारा कई शिकायतें मिली थीं, ऐसे में अभी के राष्ट्रपति और तत्कालीन राज्यपाल राम नाथ कोविंद की अनुशंसा पर फरवरी 2017 में मामला दर्ज हुआ था और जांच की सिफारिश हुई थी.
आरजेडी की तरफ से तेजस्वी यादव का कहना है-
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति और भवन निर्माण में भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में IPC 409,420,467, 468,471 और 120B के तहत आरोपी मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाकर क्या भ्रष्टाचार करने का ईनाम एवं लूटने की खुली छूट प्रदान की है?तेजस्वी यादव
पत्नी की मौत को लेकर पूर्व आईपीएस ने उठाए सवाल
सिर्फ भर्ती घोटाले ये भवन घोटाले तक आरोपों का सिलसिला मेवालाल पर नहीं रुका है. IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, अब एक पूर्व आईपीएस अधिकारी ने बिहार के डीजीपी को पत्र लिखकर चौधरी की पत्नी की कथित रहस्यमय मौत की जांच की मांग की है. बिहार कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास ने गंभीर आरोप लगाए हैं और उनका दावा है कि उनकी पत्नी नीता की रहस्यमयी मौत चौधरी भर्ती घोटाले के 'कनेक्शन' के साथ एक राजनीतिक साजिश हो सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक, दास ने एक लेटर में कहा है, "मुझे नीता चौधरी की रहस्यमय मौत के बारे में जानकारी है. उनकी मौत गहरी राजनीतिक साजिश का हिस्सा हो सकती है. उनकी मौत भर्ती घोटाले से जुड़ी है." पूर्व विधायक नीता चौधरी 27 मई, 2019 को अपने घर पर जलने के बाद गंभीर हालत में मिली थीं. इसके बाद दो जून 2019 को उनकी मौत हो गई.
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