बिहार में जेडीयू महागठबंधन से अलग हो गई है. इसके साथ ही राज्य में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन हुआ है. जेडीयू के गठबंधन से अलग होने के बाद अब आरजेडी एक बार फिर विपक्ष में होगी. लेकिन सवाल है कि अब जब बिहार में एक बार फिर जेडीयू-आरजेडी अलग हुए हैं तो इसका फायदा तेजस्वी यादव को कैसे मिलेगा?
तेजस्वी कह सकेंगे- मैंने वादा पूरा किया
बिहार में महागठबंधन की सरकार करीब 18 महीने चली थी, जिसका नेतृत्व नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव कर रहे थे. इन 18 महीनों की सरकार में तेजस्वी यादव ने उन वादों को पूरा किया, जिसको लेकर वो 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में उतरे थे, जिसका लाभ वो आने वाले समय में उठा सकते हैं.
रोजगार
तेजस्वी यादव ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में 10 लाख नौकरी देने का वादा किया था और अपने कार्यकाल में वो उसमें सफल भी हुए. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नीतीश-तेजस्वी सरकार ने अपने कार्यकाल में देशभर के किसी भी राज्य में सबसे अधिक सरकारी नौकरी देने का रिकॉर्ड बनाया है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार नवंबर 2023 से जनवरी 2024 तक लगभग सवा दो लाख नव नियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देने वाला देश में पहला राज्य बन गया है.
बिहार सरकार ने 2 नवंबर 2023 को एक लाख 12 हजार नव नियुक्त शिक्षकों को पूरे बिहार में एक दिन में नियुक्ति पत्र दिया था. इसके बाद 13 जनवरी 2024 को बीपीएससी से अनुशंसित 96 हजार 823 शिक्षकों को एक दिन में नियुक्ति पत्र दिया गया.
वैसे भी विपक्ष बेरोजगारी और नौकरी के मुद्दे पर हमेशा से बीजेपी पर हमलावर रहा है. ऐसे में तेजस्वी यादव अपने कार्यकाल में दिए गए रोजगार का लाभ चुनाव में उठा सकते हैं. बीजेपी अब उन पर ये भी आरोप नहीं लगा पाएगी कि तेजस्वी यादव ने जो वादा किया था, वो पूरा नहीं कर पाए.
जातीय आधारित गणना
बिहार में जेडीयू और आरजेडी जातीय आधारित गणना पर हमेशा मुखर रहे थे. नीतीश जब बीजेपी के साथ थे, तब भी वो ये मांग करते थे लेकिन तब ये संभव नहीं हुआ, पर तेजस्वी के साथ आने के बाद न सिर्फ जातीय आधारित गणना बल्कि आर्थिक सर्वेक्षण भी सफलतापूर्वक हुआ. अब सरकार ने पिछले दिनों, उन्हीं डेटा के अनुसार, राज्य के 94 लाख परिवारों को दो-दो लाख रुपये देने का ऐलान किया था.
तेजस्वी यादव को इसका भी लाभ मिलेगा कि केंद्र और राज्य में अपनी सरकार होने के बावजूद नीतीश जो बीजेपी के साथ मिलकर नहीं कर पाए, वो आरजेडी के साथ आने पर आसानी से पूरा हो गया. क्योंकि ये दोनों मांग विपक्ष में रहते हुए तेजस्वी यादव ने ही तात्कालीक बिहार सरकार से की थी.
आरक्षण सीमा में बढ़ोतरी
बिहार में नीतीश और तेजस्वी यादव की सरकार ने आरक्षण सीमा में बढ़ोतरी की और कोटा 50 प्रतिशत से 75 फीसदी कर दिया. इसके अलावा "मेडल लाओ, नौकरी पाओ" योजना की शुरुआत भी तेजस्वी यादव के कार्यकाल में ही हुई.
वहीं, नीतीश-तेजस्वी सरकार में बिहार के बाहर के लोगों को भी सरकारी नौकरी मिली, जो अन्य राज्यों में नहीं है. दरअसल, कई बीजेपी शासित राज्यों में नौकरी में स्थानीय आरक्षण लागू है. ऐसे में तेजस्वी यादव ने बिहार के बाहर के लोगों को राज्य में नौकरी देकर एक मॉडल सेट किया है, जिसका उन्हें लाभ मिल सकता है.
हालांकि, नीतीश कुमार ने आरजेडी से अलग होने के बाद कहा कि वहां काम का श्रेय लेने की कोशिश थी, ऐसे में जेडीयू भी इन कामों को भुनाने की कोशिश करेगी, लेकिन उससे पहले ही RJD ने सोशल मीडिया "एक्स" पर इन कामों पर अपना दावा ठोक दिया और जेडीयू पर पलटवार किया.
RJD ने लिखा, "𝟐𝟎𝟐𝟎 विधानसभा चुनाव में जब तेजस्वी CM बनने पर 𝟏𝟎 लाख नौकरियां देने का वादा कर रहे थे तब नीतीश कुमार कह रहे थे नौकरी देना असंभव है, पैसा कहां से लाएगा, उसे कुछ जानकारी है. 𝟗 अगस्त 𝟐𝟎𝟐𝟐 को तेजस्वी उपमुख्यमंत्री बने और 𝟏𝟓 अगस्त 𝟐𝟎𝟐𝟐, गांधी मैदान से स्वतंत्रता दिवस के भाषण में उसी नीतीश कुमार से तेजस्वी ने 𝟏𝟎 लाख नौकरी देने की घोषणा करवाई. यही है तेजस्वी यादव की ताकत. तेजस्वी को नौकरियों का श्रेय मिलना शुरू हुआ तो फिर तकलीफ क्यों?"
RJD ने एक अन्य पोस्ट में कामों की लिस्ट गिना डाली, जो महागठबंधन की सरकार में हुआ और दावा किया कि ये सब तेजस्वी यादव की वजह से संभव हुआ है.
तेजस्वी यादव की छवि
इन वादों के इतर जो सबसे अहम रहा वो थी तेजस्वी यादव की छवि. तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बनने के बाद हमेशा एक्टिव रहे. वो अस्पतालों का निरीक्षण करने अचानक पहुंच जाते थे. वो सोशल मीडिया पर जनता के मुद्दे को एड्रेस कर, उसका हल कर देते थे. उन्होंने जेडीयू के साथ गठबंधन में रहने के दौरान कभी नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी नहीं की और न ही उनका अपमान करने की कोशिश.
गठबंधन टूटने के बाद भी तेजस्वी यादव ने कहा कि हमने नीतीश कुमार का हमेशा सम्मान किया है और वो सम्मानीय हैं. इससे तेजस्वी यादव ये संदेश देने में भी सफल होंगे कि गठबंधन जेडीयू ने तोड़ा है, आरजेडी ने नहीं.
याद करें जब 2017 में 'अंतरात्मा की आवाज' सुनकर नीतीश ने RJD से गठबंधन तोड़ा था तब भी अचानक तेजस्वी की छवि मजबूत हुई थी. RJD को उम्मीद होगी कि एकबार फिर नीतीश के अलग होने से तेजस्वी खुद को युवा वर्ग से कनेक्ट करने वाले तेज-तर्रार नेता के रूप में पेश कर सकें.
वरिष्ठ पत्रकार ललित राय ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा, "तेजस्वी यादव के पास अब अपना रिपोर्ट कॉर्ड है. पहली बार 20 महीने और दूसरी बार 18 महीने, जो तेजस्वी यादव ने काम किया है, वो उसे लेकर जनता के बीच जा सकते हैं. उन्होंने रोजगार देने के अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर और बिहार के पर्यटन के लिए भी कई काम किये हैं, जो उनके भविष्य के राजनीतिक जीवन के लिए लाभदायक रहेगा."
'RJD ए टू जेड की पार्टी है'
तेजस्वी यादव के नेतृत्व की सबसे अहम बात ये रही है कि उन्होंने RJD की बनी बनाई पॉलिटिक्स मुस्लिम-यादव (M-Y) से बाहर निकलने का प्रयास किया और RJD को 'ए टू जेड' की पार्टी बनाने की कोशिश की.
तेजस्वी यादव ने अपने पिता लालू यादव के नक्शेकदम पर चलने की बजाए अलग लाइन पर पॉलिटिक्स की. वो जब विपक्ष में थे, तब से उन्होंने मंचों से ये कहना शुरू कर दिया कि RJD सभी धर्मों की पार्टी है, इसमें मुस्लिम-यादव जैसा कुछ नहीं है.ललित राय, वरिष्ठ पत्रकार
राय ने आगे कहा, "जैसे बीजेपी ने नारा दिया है 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास', वैसे ही RJD भी ए टू जेड की बात करती है. जैसे बीजेपी का दावा है कि उसकी योजनाओं में किसी जातीय के लिए भेदभाव नहीं है, वैसे अपने रिपोर्ट कार्ड के जरिए तेजस्वी यादव भी RJD की उस छवि को तोड़ सकते हैं."
हालांकि, तेजस्वी यादव को अपने कामों का कितना लाभ मिलेगा, ये आने वाले चुनावों और समय पर साफ हो जाएगा, लेकिन इतना तय है कि अपने रिपोर्ट कार्ड के जरिए तेजस्वी अब ये भी दावा करेंगे कि जब डिप्टी सीएम रहते हुए उन्होंने इतना काम किया तो अगर वो मुख्यमंत्री होते तो कितना बिहार का विकास होता और कितने लोगों को नौकरी मिलती.
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