इस बार संसद का पूरा शीतकालीन सत्र नोटबंदी के भेंट चढ़ गया है. सत्र में सारे दिन विपक्ष के नेता केंद्र के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ हंगामा करते रहे.
लेकिन बीजू जनता जल (बीजेडी) के सांसद जय पांडा ने इस बीच मिलने वाली सारी सैलेरी कटवाकर जनता के नुकसान हुए पैसे की भरपाई करने की कोशिश की है.
बीजेडी सांसद जय पांडा का कहना है कि पिछले 4-5 सालों से जितना समय संसद के हंगामे से खराब हुआ है उतने समय की सैलेरी और भत्ता वह हर बार वापस करते आए हैं.
संसद में एक मिनट का खर्चा 2.5 लाख रुपये
आपको यह जानना जरुरी है कि संसद की एक मिनट कार्यवाई के दौरान 2.5 लाख रुपये खर्च होता है. इसी तरह एक घंटे में 1.5 करोड़ और हर दिन में 9 करोड़ रुपये का खर्चा होता है. यह सब रुपया सरकार जनता से टैक्स के रूप में लेती है.
संसद में विपक्ष द्वारा किए जा रहे लगातार हंगामें से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और लाल कृष्ण आडवाणी भी निंदा कर चुके हैं. मुखर्जी ने तो विपक्ष से अनुरोध किया था कि भगवान के लिए आप अपना काम करें. वहीं आडवाणी ने तो यहां तक कहा था कि मेरा मन कर रहा है कि मैं इस्तीफा दे दूं.
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