पहले डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने और बाद में इस्तीफा देने वाले अजित पवार पर अब बीजेपी उलझन में है. 23 नवंबर को पहले शपथ लेकर बधाइयों का जवाब देने वाले अजित पवार ने 26 नवंबर को इस्तीफा दे दिया था.
इस्तीफे से पहले उन्हें पीएम मोदी, अमित शाह समेत कई बीजेपी नेताओं ने बधाई दी जिसका जवाब भी अजित पवार ने बखूबी दिया.
बीजेपी को समर्थन नहीं लेना चाहिए था: एकनाथ खड़से
अब अजित पवार शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के साथ हैं. ऐसे में बीजेपी के अंदर ही सवाल उठने लगे हैं और अलग-अलग नेताओं की प्रतिक्रिया भी सामने आ रही है.
वरिष्ठ बीजेपी नेता एकनाथ खड़से ने तो पार्टी के फैसले पर ही सवाल खड़ा कर दिया है. उनका कहना है कि अजित पवार का समर्थन पार्टी को लेना ही नहीं चाहिए था.
मेरी व्यक्तिगत राय ये है कि बीजेपी को अजित दादा पवार का समर्थन नहीं लेना चाहिए था. वो बड़े सिंचाई घोटाले के साथ और भी कई मामलों में आरोपी हैं. इसलिए हमें उनके साथ गठबंधन नहीं करना चाहिए था.एकनाथ खड़से, बीजेपी
विधायक दल के नेता थे, इसलिए लिया समर्थन: शाह
उधर, बीजेपी अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह भी अजित पावर का समर्थन लेने के सवाल पर सफाई देते नजर आए. शाह का कहना है कि एनसीपी ने अजित पवार को एनसीपी विधायक दल का नेता चुना था, इसलिए समर्थन लिया गया.
एक चैनल से बातचीत के दौरान शाह ने ये भी कहा कि
अजित पवार के समर्थन के बाद ही बीजेपी ने सरकार बनाने की पहल की थी, बाद में उन्होंने समर्थन नहीं होने की बात कहते हुए इस्तीफा दे दिया था.अमित शाह, गृहमंत्री
खुद सीएम फडणवीस से जब अजित पवार को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि "मैं सही समय पर सही बाते बोलूंगा."
दरअसल, अजित पवार का समर्थन लेने को लेकर फडणवीस समेत पूरे बीजेपी की फजीहत हुई है. लेकिन फडणवीस सारी जिम्मेदारी खुद लेने पर आमदा है, उनका कहना है कि राज्य के सभी फैसले राज्य के नेतृत्व ने ही लिए हैं. लेकिन केंद्रीय नेतृत्व भी इसमें शुरुआत से ही उलझा रहा. अब राज्य और केंद्र दोनों ही मिलकर सफाई पेश करने में जुटे हुए हैं.
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