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डिटेंशन सेंटर पर PM की बात को लेकर भ्रम फैला रहे हैं राहुल: BJP

बीजेपी ने पूछा- पीएम ने क्या झूठ बोला है?

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बीजेपी ने पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर किए गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक ट्वीट पर पलटवार किया है. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा है, ''आज (26 दिसंबर को) राहुल गांधी जी ने कुछ ट्वीट किया है और जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया है वो बहुत आपत्तिजनक है. उन्होंने कहा है कि RSS का प्रधानमंत्री भारत माता से झूठ बोलता है. मुझे लगता है राहुल गांधी से भद्रता और अच्छी भाषा की अपेक्षा करना ही गलत है.''

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पात्रा ने कहा, ‘’राफेल पर झूठ फैलाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी जी ने माफी मांगी थी. आज वो प्रधानमंत्री जी की बात को लेकर भ्रम फैला रहे हैं.’’

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पीएम मोदी ने हाल ही में एक रैली के दौरान नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) को लेकर कहा था,‘’कांग्रेस और उसके साथी, शहरों में रहने वाले पढ़े लिखे नक्सली -अर्बन नक्सल, ये अफवाह फैला रहे हैं कि सारे मुसलमानों को डिटेंशन सेंटर में भेज दिया जाएगा. कुछ तो अपनी शिक्षा की कद्र करिए. एक बार पढ़ तो लीजिए नागरिकता संशोधन एक्ट और NRC है क्या?‘’

इसके साथ ही उन्होंने कहा था,

‘’अब भी जो भ्रम में हैं, मैं उन्हें कहूंगा कि कांग्रेस और अर्बन नक्सलियों द्वारा डिटेंशन सेंटर की अफवाहें सरासर झूठ हैं. बद इरादे वाली हैं, देश को तबाह करने के नापाक इरादों से भरी पड़ी हैं.’’
पीएम मोदी

बीजेपी ने पूछा- पीएम ने क्या झूठ बोला है?

संबित पात्रा ने 26 दिसंबर को कहा, ''प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि ऐसा कोई डिटेंशन कैंप नहीं है, जिसमें NRC के बाद हिंदुस्तान के मुसलमानों को रखा जाएगा. ये झूठ फैलाया जा रहा है. इसमें प्रधानमंत्री जी ने क्या झूठ बोला है?

पात्रा ने कहा, ‘’डिटेंशन सेंटर के बनाए जाने और NRC का कोई संबंध नहीं है. डिटेंशन सेंटर उन विदेशियों के लिए हैं, जो भारत में अवैध तौर पर रह रहे हैं.’’

इसके साथ ही पात्रा ने कहा,

  • 13 दिसंबर 2011 को केंद्र सरकार की एक प्रेस रिलीज में कहा गया था कि 3 डिटेंशन कैंप असम में खोले गए हैं. 2011 में केंद्र में कांग्रेस सरकार थी.
  • 20 अक्टूबर 2012 को असम की कांग्रेस सरकार ने श्वेत पत्र जारी किया था. इसमें पेज 38 में लिखा है कि केंद्र सरकार ने असम सरकार को यह निर्देश दिया है कि आप डिटेंशन सेंटर सेट कीजिए.

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, ''गुवाहटी हाई कोर्ट में हुए एक केस के अनुसार कोर्ट ने माना है कि 2009 में जो पत्रक उस समय के गृह मंत्रालय ने जारी किया था, उसके अंदर डिटेंशन सेंटर और उसमें लोगों को रखने के नियम हैं. कोर्ट स्पष्ट कहता है कि ये सब तब के गृह मंत्रालय के अनुसार हुआ था.''

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