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यूपी चुनाव: सपा-कांग्रेस पॉजिटिव प्रचार से करेंगे बीजेपी का काउंटर

सपा-कांग्रेस गठबंधन की नई रणनीति डोर टू डोर जाएंगे वॉलेंटियर  

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प्रगति के 10 कदम, प्रतिबद्ध हैं हम

उत्तर प्रदेश की सियासी उठापटक के बीच ये नया नारा है समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन का. चुनाव के बाकी बचे तीन फेज में वोटरों को लुभाने के लिए गठबंधन ने नई रणनीति तैयार की है.

हर दिन पांच लाख घर

स्नैपशॉट

द क्विंट को मिली जानकारी के मुताबिक, पहले से चल रहे रैली, रोड शो, नुक्कड़ सभाओं के अलावा बाकी बची सीटों पर प्रचार के लिए अब ये रणनीति तैयार की गई है.

  • हर विधानसभा में 70 से 100 वॉलेंटियर करेंगे डोर टू डोर प्रचार
  • अलग पहचान के लिए हर वॉलेंटियर पहनेगा गठबंधन की टी-शर्ट
  • हर दिन पांच लाख घरों तक पहुंचने का लक्ष्य
  • लोगों को देंगे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का संदेश पत्र
  • गठबंधन की 10 प्राथमिकताओं वाला एक पॉकेट कैलेंडर और
  • A4 साईज का एक कैलेंडर
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बीजेपी की रणनीति का काउंटर

प्रचार से जुड़े एक सूत्र ने द क्विंट को बताया कि

हमें अंदेशा है कि आने वाले दिनों में बीजेपी की तरफ से ‘श्मशान-कब्रिस्तान’ और ‘कसाब’ जैसे जुमले और ज्यादा उछाले जाएंगे. ध्रुवीकरण के इस हमले को काउंटर करने के लिए हम पॉजिटिव प्रचार के साथ लोगों के बीच जाना चाहते हैं. नया नारा और संदेश इसी रणनीति का हिस्सा हैं.

संदेश पत्र में अखिलेश ने लोगों से यूपी को देश का सबसे विकसित राज्य बनाने का वादा किया है. पत्र में ये भी कहा गया है कि कांग्रेस का साथ मिलने से विकास की रफ्तार और तेज होगी.

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अखिलेश-राहुल का साझा विजन

यूपी को ये साथ पसंद है’ का ऐलान करते अखिलेश और राहुल गांधी की फोटो वाली होर्डिंग भले ही तमाम चौक-चौराहों पर लगी हों. लेकिन दोनों ही पार्टियों के प्रचार मैनेजरों को ये फीडबैक मिला था कि राहुल और अखिलेश के साझे विजन की जानकारी तफ्सीली तौर पर घर-घर तक पहुंचानी चाहिए. इसी के तहत प्रचार की नई सामग्री तैयार की गई. सूत्रों के मुताबिक, मैदान में वॉलेंटियर्स की मौजूदगी दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी कम करने में भी मददगार होगी.

उत्तर प्रदेश की बाकी बची 140 सीटों के लिए 27 फरवरी, 4 और 8 मार्च को वोटिंग होनी है. साफ है कि चुनावी दंगल के इस आखिरी राउंड में तमाम पार्टियां अपना हर पैंतरा आजमाएगी. देखना दिलचस्प होगा कि बयानों के तीर, ध्रुवीकरण की कोशिशें, बिजली की सियासत और निजी हमलों के इस दौर में विकास का ये नारा सपा-कांग्रेस गठबंधन को कितना फायदा पहुंचा पाता है.

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