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सरकारी कामकाज में हिंदी का उपयोग नहीं होने से खफा रिजिजू

सरकारी कामकाज में हिंदी के उपयोग को लेकर 1965 में मंत्रिमंडल में आया था फैसला.

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केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने सरकारी कामकाज में हिंदी का उपयोग नहीं होने पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और निचली अदालतें सरकारी उद्देश्यों के लिए हिंदी के प्रयोग के पक्ष में नहीं है.

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार लोकसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने ऐसा कहा.

लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में रिजिजू ने संविधान के एक प्रावधान का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि सरकार हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देना चाहती थी.

1965 में मंत्रिमंडल का एक फैसला आया था. जिसमें बताया गया कि कैसे अदालतों, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हिन्दी के उपयोग पर निर्णय लेने से पहले, मुख्य न्यायाधीश की राय ली जानी चाहिए. सरकार ने इस पर सीजेआई की राय ली थी. राय नकारात्मक होने के कारण इस मामले को आगे नहीं बढ़ाया गया. यह मामला वहीं रुक गया.
किरण रिजिजू, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री
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वर्तमान सरकार हिंदी और सभी क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के पक्ष में

हालांकि रिजिजू ने उल्लेख किया कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार सहित चार राज्यों की अदालतों में हिन्दी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की जाती है.

अन्य राज्यों में भी हिन्दी के प्रयोग के लिए प्रस्ताव है. अगर राज्यपाल और राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त होती है, तो इस दिशा में एक कदम उठाया जा सकता है.

मंत्री ने वर्तमान सरकार के हिंदी और दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के पक्ष में होने की बात कही.

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