मध्य प्रदेश की चित्रकूट विधानसभा सीट को कांग्रेस एक बार फिर अपने नाम लिख चुकी है. उपचुनाव में कांग्रेस के नीलांशु चतुर्वेदी ने बीजेपी उम्मीदवार शंकर दयाल त्रिपाठी को 14 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी है. ऊपर-ऊपर से देखने में भले इस जीत के मायने नजर न आएं पर कांग्रेस के लिए इसकी अहमियत को समझा जाना जरूरी है.
नहीं चला दिग्गजों का प्रचार
चित्रकूट सीट बीजेपी के लिए किस कदर जरूरी थी, उसका जवाब पार्टी की कोशिशों में छिपा है. 29 मई को प्रेम सिंह के निधन के बाद ये सीट खाली हो गई थी. कांग्रेस के प्रेम सिंह इस सीट से तीसरी बार जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. लेकिन, इस बात से बीजेपी को फर्क नहीं पड़ा. उसने कांग्रेस से चित्रकूट को छीनने के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद यहां तीन दिन तक रुककर चुनाव प्रचार किया. उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे.
शिवराज ने आदिवासियों और किसानों को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. शिवराज ने चित्रकूट के तुर्रा गांव में एक रात भी गुजारी. रात गुजारने के लिए एक आदिवासी के घर को चुना गया. ये बात अलग है कि उनके पहुंचने से पहले ही उस घर में किए गए वीवीआईपी इंतजामात को लेकर शिवराज को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा.
मध्य प्रदेश की सियासत का बड़ा नाम और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने 7 नवंबर को ट्वीट भी किया, "शिवराज के आदिवासी के घर रात्रि विश्राम के दिखावे की हकीकत..नया शौचालय-नये पलंग, गद्दे -करीने की सजावट-वेटर परोस रहे भोजन.”
कहा जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान और उनके समर्थकों के वीवीआई रवैये की हवा निकालने में कांग्रेस ने बाजी मार ली. ये दोनों तरफ से मजबूती से लड़ी गई लड़ाई थी. जिसमें वोटरों की हिस्सेदारी को भी कम करके नहीं आंका जा सकता. चित्रकूट में करीब 65 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई जिसमें महिलाओं की हिस्सेदारी पुरुषों से ज्यादा थी.
जीत के बाद से ही ट्विटर पर #राम_की_नगरी_में_कांग्रेस शुरू हो गया.
चुनावी तीरंदाजी में शिवराज के तीर धराशायी
जब पंजाब के गुरदासपुर उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की तो कहा गया कि राज्य में जिसकी सरकार होती है जीत भी अमूमन उसी को हासिल होती है. इसलिए गुरदासपुर जीत कांग्रेस के लिए कोई बड़ी जीत नहीं कही जा सकती. शायद यही वजह थी कि एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज को चित्रकूट में उम्मीद की एक किरण नजर आई. शिवराज एक चुनावी सभा में कहते नजर आते हैं,
6 महीने के चुनाव में वोट क्यों बेकार करें. जब मौका मिला है तो ऐसी पार्टी को जिता दो जो सरकार के माध्यम से धड़ाधड़ काम करे. इसलिए आपसे कहने आया हूं कि अभी नहीं तो कभी नहीं. फिर ऐसा मौका मिलेगा नहीं.शिवराज सिंह चौहान, सीएम, एमपी
दिलचस्प बात ये कि शिवराज और कांग्रेस प्रचारकों, दोनों ने अपने-अपने तरीके से किसानों को साधने की कोशिश की लेकिन चुनावी नतीजों में पलड़ा कांग्रेस के पक्ष में झुका. ऐसी ही एक चुनावी रैली में कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंदसौर में किसानों पर हुई कार्रवाई का जिक्र किया. साथ ही बतौर ऊर्जा मंत्री राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के दौरान सतना जिले में हुए काम भी गिनाए.
'हवा बदल रही है'
हवा में बदलाव का इशारा आया है कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला की तरफ से. सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, बदलाव की बयार बह रही है. चित्रकूट के लोगों का कांग्रेस पार्टी में भरोसा कायम रखने के लिए बहुत शुक्रिया!
कांग्रेस को हवा शायद दो वजहों से बदलती दिख रही है. पहला, गुजरात चुनाव सामने है. ऐसे में पार्टी अपने काडर तक ये संदेश भेजने में कामयाब रहती है कि 22 साल की बीजेपी सत्ता से मुकाबला आमने-सामने का हो सकता है तो उसमें ऐसी छोटी जीतों की भी अपनी अहमियत होती है. दूसरी वजह है हाल ही में आए चुनावी नतीजे. पंजाब के गुरदासपुर और दिल्ली छात्र संघ चुनाव के नतीजों ने भी पार्टी के हौसले बुलंद किए हैं.
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