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अजित पवार को सिंचाई घोटाले में क्लीनचिट पर उठे सवाल  

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में एंटी करप्शन ब्रांच ने एफिडेविट दायर किया है

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महाराष्ट्र में 70  हजार करोड़ का सिंचाई घोटाला.आरोपियों में अजित पवार. अब जब एंट्री करप्शन ब्यूरो ने उन्हें क्लीनचिट दी है तो सवाल उठ रहे हैं. सवाल पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उठाए हैं और सामाजिक  कार्यकर्ता ने उठाए हैं जिन्होंने इस मामले में कई याचिकाएं डाल रखी हैं.

क्या है पूरा मामला?

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में एसीबी ने एफिडेविट दायर किया है. इसमे कहा है कि विदर्भ क्षेत्र सिंचाई परियोजना में कथित अनियमिताओं के लिए अजित पवार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. उद्धव ठाकरे की सरकार के शपथग्रहण समारोह से एक दिन पहले याने 27 नवम्बर को एसीबी ने नागपुर खंडपीठ को ये जानकारी दी है.

इससे पहले महाराष्ट्र में अचानक जब देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने शपथ ली थी, उस वक्त एसीबी की एक चिट्टी सामने आई थी, जिसमें एसीबी ने सिंचाई घोटाले में कई प्रोजेक्ट्स की फाइल बंद करने के बारे में कहा गया था.

जैसे ही इसका संबंध अजित पवार से जोड़ा गया तो तुरंत एसीबी के डीजी परमबीर सींग ने प्रेस में ये बात साफ की थी कि जिन 9 प्रोजेक्ट की जांच पूरी हुई है उसका अजित पवार से कोई लेना देना नहीं है.
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अजित पवार पर आरोप

महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर आरोप लगे थे कि साल 1999-2000 के बीच सिंचाई से जुड़े प्रोजेक्ट्स के लिए प्रोटोकॉल को किनारे कर बढ़ी हुई लागत को मंजूरी दी. आरोप ये भी थे कि कुछ खास लोगों को इसके जरिए फायदा पहुंचने की कोशिश की गई.

एसीबी की क्लीन चिट पर बोले फडणवीस

महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार को क्लीनचिट के बाद कहा है कि जो कंटेंट एसीबी की एफिडेविट में दिख रहा है उससे देखकर लगता है कि कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं होगा. क्योंकि 302 टेंडर्स की जांच हो रही थी. 100 टेंडर्स के आधार पर इस रिपोर्ट में कह देना कि अजित पवार का कोई रोल नहीं है, ठीक नहीं. फडणवीस ने ये भी कहा है कि उनकी सरकार के समय एसीबी ने जो एफिडेविट दायर किया था और अब जो दायर हुआ है, उन दोनों में विरोधाभास है. .

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याचिकाकर्ता ने भी उठाए सवाल

सामाजिक कार्यकर्ता और इस मामले में याचिका डालने वाली अंजलि दमानिया ने भी क्विंट से बातचीत में एसीबी की एफिडेविट पर सवाल उठाए हैं. अंजलि दमानिया ने कहा है कि एसीबी ने जो एफिडेविट कोर्ट में दायर किया है, वो शॉकिंग है. दरअसल जो जानकारी एसीबी ने कोर्ट को दी है उसके हिसाब से 202 टेंडर्स की अब भी जांच पूरी नहीं हुई है, ऐसे में कैसे कहा जा सकता है कि अजित पवार का कोई रोल नहीं है.

करीब 17 सिंचाई प्रोजेक्ट में 20 FIR दर्ज हुई हैं. उसमें से अब तक केवल 5 प्रोजेक्ट में चार्जशीट फाइल हुई है. यानी 15 FIR में अब तक कुछ नहीं हुआ है.  
अंजलि दमानिया, सामाजिक कार्यकर्ता

दमानिया के मुताबिक एसीबी ने कहा है कि प्रोजेक्ट के लिए जो मोबिलाइजेशन एडवांस दिया गया, उसे लॉस नहीं कह सकते. इसका मतलब ये नहीं कि इसमें कोई करप्शन नहीं हुआ है.  ठेकेदारों के बैंक अकाउंट्स की जांच होनी चाहिए कि जब उन्हें मोबिलाइजेशन एडवांस मिला, उसके बाद कितनी रकम  निकाली गई और किसे दी गई ? कोर्ट को एसीबी का दफ्तर बंद करने का आदेश देना चाहिए, क्योंकि ये पूरी तरह पोलिटिकल अड्ड बन गया है.

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