कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 16 मई को 'स्पेशल प्रेस ब्रीफिंग' के जरिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के आर्थिक पैकेज पर अपनी राय सामने रखी. उन्होंने कहा, ''जब बच्चों को चोट पहुंचती है, तो मां उनको कर्जा नहीं देती, बल्कि राहत के लिए तुरंत मदद देती है. कर्ज का पैकेज नहीं होना चाहिए था, बल्कि किसान, मजदूरों की जेब में तुरंत पैसे दिए जाने की आवश्यकता है.''
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राहुल ने कहा, ‘’जो प्रवासी मजदूर सड़क पर चल रहा है, जो किसान तड़प रहा है, उसको कर्ज की नहीं, पैसों की जरूरत है. मेरा ये संदेश राजनीतिक नहीं, बल्कि इसमें हिंदुस्तान की चिंता है.’’
इसके अलावा उन्होंने कहा,
- आज जो लोग परेशान हैं, ये हमारे भाई-बहन, माता-पिता हैं. हम सबको इनका सहयोग करना है और ये सिर्फ सरकार को ही नहीं, हम सबको मिलकर काम करना है.
- आज हमारी जनता को पैसे की जरूरत है. प्रधानमंत्री जी इस पैकेज पर पुनर्विचार करें. प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण, मनरेगा के कार्य दिवस 200 दिन, किसानों को पैसा आदि के बारे में मोदी जी विचार करें, क्योंकि ये सब हिंदुस्तान का भविष्य है.
- कोरोना संकट में मांग और आपूर्ति दोनों बंद हैं. सरकार को दोनों को गति देनी है. अब सरकार ने जो कर्ज पैकेज की बात कही है, उससे मांग शुरू नहीं होने वाली है क्योंकि, बिना पैसे के लोग खरीद कैसे करेंगे.
- मांग को शुरू करने के लिए पैसा देने की जरूरत है. "न्याय" जैसी योजना इसमें मददगार साबित हो सकती है. मांग शुरू न होने पर बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान होने की आशंका है, जो कोरोना से भी बड़ा हो सकता है.
राहुल गांधी ने कहा कि हमें हिंदुस्तान के दिल को देखकर निर्णय लेना है, विदेश को देखकर कोई निर्णय नहीं लेना है.
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टॉपिक: नरेंद्र मोदी राहुल गांधी आर्थिक पैकेज
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