ADVERTISEMENTREMOVE AD

कांग्रेस का खजाना खाली, 2019 में कैसे करेगी मोदी से मुकाबला?

वित्तीय संकट से जूझ रही कांग्रेस, कई परेशानियों का करना पड़ रहा सामना

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

मोदी सरकार को हटाने में जुटी कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी दिक्कत है खाली खजाना. चार साल पहले तक केंद्र की सत्ता में काबिज देश की मुख्य विपक्षी पार्टी का वित्तीय संकट इतना गहरा है कि नेताओं के दौरे के लिए हवाई टिकट तक मुश्किल हो रहा है.

ऐसे खस्ता हालात में कांग्रेस के लिए देश की सबसे अमीर पार्टी बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 2019 मुकाबला करना बहुत मुश्किल होगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पार्टी दफ्तर चलाना मुश्किल

कांग्रेस पार्टी दफ्तर में बैठे लोगों के मुताबिक, पिछले पांच महीनों से राज्यों के पार्टी दफ्तर चलाने के लिए दिल्ली से रकम भेजना बंद कर दी गई है. हालांकि पार्टी के किसी अधिकारी ने आधिकारिक रूप से इस पर कुछ भी नहीं कहा, क्योंकि वो इसके लिए अधिकृत नहीं हैं. कांग्रेस ने अपने सदस्यों से सहयोग राशि बढ़ाने को कहा है. इसके अलावा सबसे से खर्चों में कटौती के लिए भी कहा गया है.

राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बावजूद उद्योगपतियों से पार्टी को फंड नहीं मिल पा रहा है. पार्टी के पास चंदा नहीं आ रहा है और हालात इतने गंभीर हैं कि उम्मीदवारों को क्राउड फंडिंग की सलाह दी जा रही है.

बीजेपी की तुलना में हमारे पास पैसा नहीं है. उनकी पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये भी ज्यादा धन मिल रहा है.
दिव्या स्पंदना, कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रमुख

कांग्रेस की जमीन पर BJP का कब्जा

कुछ साल पहले तक जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें थीं वहां बीजेपी का कब्जा हो गया है. जाहिर है इसी वजह से कांग्रेस को मिलने वाला चंदे के रिसोर्स खत्म हो गए हैं.

बीजेपी ने अब तक 20 राज्यों में अपने सहयोगियों के साथ सरकार बनाए है. उनमें से अधिकांश राज्य बीजेपी ने कांग्रेस से छीने है. 2013 में जहां 15 राज्यों में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी, वो सिमटकर अब केवल दो बड़े राज्यों तक रह गई है. मोदी सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD
ADVERTISEMENTREMOVE AD

कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस, वाशिंगटन डीसी में साउथ एशिया के सीनियर फेलो मिलान वैष्णव ने कहा, बड़े कारोबारी कांग्रेस से लगातार दूर होते जा रहे हैं. जबकि बीजेपी काफी तेजी से फंड इकट्ठा कर रही है. बीजेपी को इसका फायदा 2019 में मिलेगा.

हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस मामले में कमेंट करने से इनकार कर दिया. पर दबे छिपे तौर पर कांग्रेस के दूसरे पदाधिकारी मानते हैं फंड की दिक्कत तो है.

ये भी पढ़ें-Modi @4: माया,ममता,अखिलेश,राहुल का मिलना ‘पार्टी’ बिगाड़ सकता है?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बीजेपी के मुकाबले एक चौथाई फंड कांग्रेस को

मार्च में खत्म हुए वित्तीय वर्ष 2017 के मुताबिक, बीजेपी की तुलना में कांग्रेस को महज एक चौथाई पैसा मिला. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक, बीजेपी ने इस अवधि के दौरान 10.34 अरब रुपये मिले. पिछले साल के मुकाबले यह 81 फीसदी अधिक थी. वहीं कांग्रेस को महज 2.25 अरब रुपये मिले और पिछले साल के मुकाबले 14 प्रतिशत की गिरावट आई.

ये भी पढ़ें- कर्नाटक के नतीजों में छिपी ये 5 चीजें 2019 की पूरी झांकी हैं

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पैसे की कमी के कारण फ्लाइट टिकट नहीं बुक करा पाई कांग्रेस

पार्टी पदाधिकारियों के मुताबिक पैसे की कमी का ये आलम है कि पूर्वी राज्यों में चुनाव के लिए पार्टी के सीनियर लीडर नहीं पहुंच पाए जिसकाी वजह से जिस वजह से पार्टी सही तरीके से वहां प्रचार नहीं कर सकी. इसका फायदा बीजेपी को त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय चुनाव में मिला. फंड की इतनी किल्लत हुई कि कांग्रेस पार्टी दफ्तरों में मेहमानों को चाय तक देने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें- कर्नाटक का आईना और BJP के लिए 2019 के खतरे का लाल निशान

ADVERTISEMENTREMOVE AD

चुनाव प्रचार पर पड़ा असर

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले चार सालों के दौरान बीजेपी को 2987 कॉरपोरेट घरानों से 7.05 अरब रुपये चंदा मिला, जबकि कांग्रेस को 167 कॉरपोरेट घरानों से महज 1.98 अरब रुपये मिले. 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने 5.88 अरब रुपये इकट्ठा किए थे, वहीं कांग्रेस ने जुटाए थे 3.50 अरब रुपये.

कांग्रेस के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि फंड की इस कमी की वजह से चुनाव प्रचार अभियान पर भी असर पड़ा.

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के फाउंडर जगदीप छोकार ने भी कहा कि कैंपेन फंड की कमी की वजह से कांग्रेस को 2019 में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

फंड की कमी की वजह से अब तक नहीं बना नया दफ्तर

कांग्रेस नेता के मुताबिक, एक तरफ जहां बीजेपी ने शानदार नए ऑफिस में अपना हेडक्वॉर्टर शिफ्ट कर लिया है. वहीं पैसे के अभाव की वजह से कांग्रेस का पार्टी ऑफिस अब तक तैयार नहीं हो पाया है.

राजनीतिक विश्लेषक अजय बोस ने कहा, पिछले कुछ सालों में चुनाव-दर चुनाव कांग्रेस के हाथों से राज्य की सरकार खिसकती गई है. इस वजह से उसे वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि राज्यों में सत्ताधारी पार्टियों को हमेशा अधिक फंड मिलता रहा है. अगर कॉरपोरेट्स को अहसास हुआ कि 2019 में कांग्रेस कड़ी टक्कर दे सकती है तो चंदा मिलने में तेजी आ सकती है.

"2019 के चुनाव में एक बहुत ही समृद्ध पार्टी और शक्तिशाली सरकार हाई-फाई चुनाव अभियान पर बेहतरीन संसाधनों पर खर्च करेगी, वहीं कांग्रेस और अन्य पार्टियां पैसे के अभाव में बहुत ही साधारण तरीके से चुनाव प्रचार करेगी." कांग्रेस और दूसरे दलों को फंड जुटाने के लिए अब ज्यादा वक्त नहीं है.

(इनपुटः ब्लूमबर्ग क्विंट)

ये भी पढ़ें-PM मोदी के ‘सोलो’ शो के दौर में आज विपक्ष का बड़ा ‘ग्रुप’ शो

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×