दिल्ली में चुनाव का मंच सज चुका है. मुकाबला तीन पार्टियों आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच है. तीनों पार्टियों की मजबूत दावेदारी है और तीनों दिल्ली की सत्ता पर काबिज रह चुके हैं. ऐसे में ये त्रिकोणीय मुकाबले दिलचस्प रहने वाला है.
जब ये चुनाव हो रहा है तब देश में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर खूब बवाल मचा हुआ है. दिल्ली के जामा मस्जिद, शाहीन बाग, जेएनयू, जामिया जैसे इलाकों में इसे लेकर काफी प्रदर्शन भी देखने को मिले हैं. लेकिन ताज्जुब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी चीफ अरविंद केजरीवाल के चुनावी मुद्दों में से ये गायब है. ऐसा क्यों है? इसके पीछे क्या हैं आंकड़े? आज के दिल्ली चाट सेंटर में ये जानने की कोशिश करते हैं.
क्या केजरीवाल का ये ये सोचा समझा जोखिम है?
आप इस तबके से ज्यादा से ज्यादा वोट बटोरना चाहती है.CAA प्रोटेस्ट को लेकर केजरीवाल की खामोशी की शायद यही सबसे बड़ी वजह है. लेकिन मोदी के समर्थकों को जीतने के चक्कर में क्या केजरीवाल एंटी-मोदी या प्रो-कांग्रेस वोटों को गंवा बैठेंगे. कांग्रेस कम से कम मुस्लिम वोटरों के बीच CAA के मुद्दे पर केजरीवाल के खिलाफ जोर-शोर से कैंपेन कर रही है.
AAP का मानना है कि केजरीवाल सरकार के काम और बीजेपी के खिलाफ सबसे मजबूत पार्टी होने के नाते उन्हें मुस्लिम समाज का पूरा समर्थन मिल जाएगा. फिलहाल तो यह लग रहा है कि आप मोदी वोटर और CAA की मुखालफत करने वाले वोटर दोनों को अपनी तरफ खींचने में कामयाब हो सकती है, अगर कोई बड़ा गेम-चेंजर सामने नहीं आया तो.
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