दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन ने आम आदमी पार्टी सरकार पर सीसीटीवी प्रोजेक्ट में घोटाला करने का आरोप लगाया है. माकन का आरोप है कि दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाने के 571.40 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट था, जिसे पीडब्ल्यूडी ने बिना कैबिनेट की मंजूरी लिए पास कर दिया.
हालांकि, आम आदमी पार्टी (AAP) ने इन आरोपों को खारिज किया है. सत्ताधारी AAP सरकार ने माकन के आरोपों को ‘मनगढ़ंत’ बताते हुए खारिज कर दिया. AAP ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस पर बीजेपी की ‘बी टीम’ के तौर पर काम करने का आरोप लगाया. बता दें आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान जारी किए गए अपने घोषणा पत्र में 1.4 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने का वादा किया था.
माकन ने पत्रकारों से बातचीत में परियोजना की कीमत में बढ़ोतरी और निविदा शर्तें ‘कमजोर’ करने पर सवाल उठाया.
कैबिनेट ने जब 2015 में सीसीटीवी प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी. तब उसकी कीमत केवल 130 करोड़ रूपये थी. बाद में इसे बढ़ाकर 571.40 करोड़ रूपये कर दिया गया. अब उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता वाली व्यय वित्त समिति की बैठक के विवरण में कहा गया है कि सक्षम प्राधिकार द्वारा परियोजना मंजूर किये जाने से पहले ही लोक निर्माण विभाग द्वारा निविदाएं आमंत्रित कर ली गईं और टेंडर को अंतिम रूप दे दिया गया.अजय माकन, अध्यक्ष, दिल्ली कांग्रेस
‘टेंडर के लिए शर्तों को किया गया कमजोर’
माकन ने यह भी आरोप लगाया कि AAP सरकार ‘‘उपराज्यपाल अनिल बैजल द्वारा मंजूरी देने में विलंब के बारे में खबरें प्लांट कराकर” प्रोजेक्ट की जांच पड़ताल से बच रही है.
नवम्बर 2017 में पहले टेंडर जारी किए गए. इसमें दो कंपनियों ने हिस्सा लिया. इसमें से एक कंपनी की निविदा मंजूर हुई, वह खारिज हो गई और जनवरी 2018 में शर्तों को कमजोर करके नए टेंडर जारी हुए. हम जानना चाहते हैं कि वे क्या शर्तें थीं जिन्हें कमजोर किया गया.अजय माकन, अध्यक्ष, दिल्ली कांग्रेस
उन्होंने कहा कि परियोजना से संबंधित निविदा दस्तावेज सरकार की वेबसाइट से ‘गायब’ हैं.
AAP ने आरोपों को किया खारिज
आम आदमी पार्टी ने अजय माकन के आरोपों को खारिज किया है. आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा, ‘मेरी उम्र माकन जी से काफी कम है और सरकारी महकमों का तजुर्बा और भी कम है. लेकिन जिस तरह के दावे वह कर रहे हैं, मुझे लगता है कि उनको सामान्य सरकारी प्रक्रिया की जानकारी भी नहीं है.’
उन्होंने कहा कि सीसीटीवी का टेंडर एक सरकारी कंपनी भारत इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (बीईएल) को मिला है, जो केंद्र सरकार की कंपनी है. वैसे तो किसी भी सरकारी कंपनी को कोई भी काम बिना टेंडर के भी दिया जा सकता है, मगर इसके बावजूद दिल्ली सरकार ने टेंडर प्रक्रिया का पालन किया और उसके जरिए इस कंपनी को सीसीटीवी कैमरे लगाने का जिम्मा सौंपा, क्योंकि उसकी बोली सबसे कम थी.
भारद्वाज ने बताया नवंबर में भी सीसीटीवी के टेंडर में दो ही कंपनियों एलएंडटी और बीईएल ने हिस्सा लिया था. इससे पहले भी ये दोनों कंपनियां ही टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए आगे आई थीं और कॉम्पिटिशन बढ़ाने के लिए शर्तों में थोड़ी छूट देने के बाद भी ये दोनों कंपनियां ही आगे आईं.
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