दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे लगभग सामने आ चुके हैं. इनमें आम आदमी पार्टी एक बार फिर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाती दिख रही है. वहीं बीजेपी को पिछली बार से 4-5 सीटें ज्यादा मिलती दिख रही हैं. लेकिन कांग्रेस का हाल इस बार पिछली बार से भी खराब है. कांग्रेस को दिल्ली में सबसे कम वोट प्रतिशत मिला है. वहीं पार्टी उम्मीदवार करीब 63 सीटों पर जमानत भी नहीं बचा पाए हैं.
दिल्ली चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस नेता भले ही सही तैयारी और संगठन नहीं होने का तर्क दे रहे हों, लेकिन इस चुनाव में पार्टी की हालत काफी खराब दिख रही है.
कांग्रेस को इस बार कुल मतदान का 5 प्रतिशत वोट भी नहीं मिला है. चुनाव आयोग के अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक आम आदमी पार्टी को 53.60 प्रतिशत, बीजेपी को 38.49 प्रतिशत और कांग्रेस को महज 4.27 प्रतिशत ही वोट मिले हैं.
2 हजार का आंकड़ा भी नहीं हुआ पार
कांग्रेस के कई उम्मीदवार ऐसे भी थे, जिन्हे दो हजार से भी कम वोट मिले हैं. हालात ये हैं कि किसी उम्मीदवार को विधानसभा का कुल 1.24 प्रतिशत वोट मिला है, तो किसी को महज 1.47 प्रतिशत ही नसीब हुआ. तुगलकाबाद से कांग्रेस उम्मीदवार शुभम शर्मा को महज 1342 वोट मिले हैं. इस विधानसभा से उनका वोट प्रतिशत कुल 1.24 रहा. वहीं तिलक नगर से उम्मीदवार रामिन्दर सिंह को कुल 1807 मिले. इनका वोट प्रतिशत 1.8 रहा.
दिल्ली में कांग्रेस के सबसे दिग्गज नेताओं में शुमार हारून महज चार फीसदी वोट ही हासिल कर सके. हारून यूसुफ दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं. गौरतलब है कि हारून यूसुफ बल्लीमारान से चार बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. वो शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में लगातार खाद्य एवं आपूर्ति व उद्योग मंत्रालय संभाल चुके हैं.
बता दें कि दिल्ली में कांग्रेस का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है. जहां एक दौर ऐसा भी था जब कांग्रेस के आगे दिल्ली में कोई टिक नहीं पाता था. वहीं अब हालात बदतर हो चुके हैं. साल 2003 में कांग्रेस को कुल 48 प्रतिशत वोट मिला था. वहीं 2008 में ये फिगर 40 प्रतिशत तक पहुंच गया. इसके बाद साल 2015 में हुए चुनावों में कांग्रेस 9.7 प्रतिशत पर सिमट गई. इस चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी.
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