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महाराष्ट्र के पूर्व CM फडणवीस से क्राइम ब्रांच ने क्यों की पूछताछ,क्या है मामला?

Maharashtra : मुंबई साइबर सेल की टीम ने फडणवीस से उनके आवास पर दो घंटे तक पूछताछ की

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महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्षी नेता देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) को गोपनीयता भंग करने के मामले में नोटिस और उनसे पूछताछ पर सियासत तेज हो गई है. बीते रविवार मुंबई (Mumbai) साइबर सेल की टीम ने फडणवीस से उनके आवास पर दो घंटे तक पूछताछ की. जिसके बाद सदन में बीजेपी आक्रामक हो गई.

सोमवार को बीजेपी (BJP) विधायकों ने विधानसभा की सीढ़ियों पर धरना देते हुए सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. उधर सदन में गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने साफ किया की कानूनी प्रक्रिया के तहत फडणवीस से पूछताछ की गई, ना कि किसी बदले की भावना से. लेकिन फडणवीस ने आरोप लगाया है कि उन्हें इस मामले में आरोपी बनाने की मंशा से सवाल पूछे गए जबकि नोटिस विटनेस का बयान दर्ज कराने के लिहाज से भेजी गई थी.

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फडणवीस से किस मामले में पूछताछ?

देवेंद्र फडणवीस से सरकारी खुफिया दस्तावेजों को लीक करने और गोपनीयता भंग करने के मामले में पूछताछ की गई. गृहमंत्री वलसे पाटिल ने साफ किया कि 26 मार्च 2021 को महाराष्ट्र पुलिस ने ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट और इंडियन टेलीग्राफ एक्ट के तहत पांच अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. जिसकी जांच के लिए फडणवीस को इससे पहले भी नोटिस भेजी गई थी. लेकिन उन्होंने अबतक उसका जवाब नहीं दिया था. इसलिए क्राइम ब्रांच साइबर सेल के अधिकारी फडणवीस के घर पहुंचे.

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फडणवीस का दावा है कि बावजूद इस सबके उन्होंने कोई गोपनीयता भंग नहीं की है. उन्हें मिले पेन ड्राइव में कई बड़े नेता, उनके करीबी और आईपीएस अधिकारियों की सेंसिटिव कॉल रिकॉर्डिंग है. लेकिन उन्होंने उसे सार्वजनिक नहीं किया है. बल्कि उसे कम्पीटेंट अथॉरिटी केंद्रीय गृह सचिव को आगे की जांच के लिए सौंप दिया है. इसलिए फडणवीस का दावा है कि उन्हें किसी भी तरह इस मामले में नहीं फंसाया जा सकता.

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क्या है पूरा मामला ?

दरअसल देवेंद्र फडणवीस ने मार्च 2021 को प्रेस कांफ्रेंस में एमवीए सरकार पर आईपीएस अधिकारियों के तबादले में करोड़ों के घोटाले का आरोप लगाया था. इसके लिए फडणवीस ने तत्कालीन स्टेट इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट (SID) की प्रमुख रश्मि शुक्ला ने पुलिस महानिदेशक (DG) को लिखे खत का जिक्र किया था जिसमें इस कथित घोटाले की जानकारी दी गई थी. साथ ही फडणवीस ने इससे जुड़े फोन टैपिंग की संवेदनशील रिकॉर्डिंग का डाटा केंद्रीय गृह सचिव को सौंपा था. फडणवीस ने इस पूरे मामले की जांच की मांग की थी.

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तत्कालीन SID प्रमुख रश्मि शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने सरकार की अनुमति के बिना कई महवपूर्ण लोगों की फोन टैपिंग की. शक ये भी है कि महाराष्ट्र सरकार की सत्ता स्थापना के समय बड़े नेताओं का फोन अवैध तरीके से सर्विलांस पर रखा गया था. जिसमें संजय राउत से लेकर एकनाथ खडसे का नाम शामिल है. इस मामले में रश्मि शुक्ला के खिलाफ मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन में भी मामला दर्ज है.

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हालांकि गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने सदन में स्पष्ट किया कि इस मामले की जांच के लिए सरकार ने एक कमेटी का गठन किया था. कमेटी ने इस मामले में एक गोपनीय रिपोर्ट पेश की थी. उसपर कोई कार्रवाई करने से पहले ही SID से ये रिपोर्ट लीक हो गई. इस मामले की जांच के लिए अब तक 24 लोगों के बयान दर्ज किए गए. फडणवीस को बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया था. लेकिन उनसे कोई जवाब ना मिलने पर पुलिस को उनके घर जाना पड़ा.

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