कृषि कानूनों को लेकर जहां केंद्र सरकार लगातार देशभर में पॉजिटिव माहौल बनाने की कोशिश में जुटी है. वहीं किसान और तमाम विपक्षी दल केंद्र से इन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. इसी क्रम में अब केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी किसान आंदोलन का समर्थन किया है. विजयन ने कहा है कि केंद्र सरकार को तीनों कानून को तुरंत वापस ले. उन्होंने कहा कि केंद्र के ये कानून उद्योगपतियों के हितों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं. वहीं बीजेपी की तरफ से भी तुरंत मोर्चा संभालते हुए केरल सरकार पर जमकर हमला बोला गया.
स्पेशल विधानसभा सत्र बुलाए जाने की मांग खारिज
दिल्ली और उसकी सीमाओं पर पिछले चार हफ्तों से किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों के इस आंदोलन के समर्थन में कई विपक्षी नेता पहले ही उतर चुके हैं. वहीं केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए विधानसभा का स्पेशल सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल से मंजूरी मांगी थी. जिसमें कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित कराए जाने की उम्मीद थी. लेकिन राज्यपाल आरिफ खान ने इससे साफ इनकार कर दिया. जिसके बाद विजयन ने नाराजगी भी जताई.
केरल के सीएम ने किसानों का समर्थन करते हुए कहा कि किसान देश के अन्नदाता हैं और उनकी मांगों को देखा जाना चाहिए. उन्होंने इस मामले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा.
बीजेपी का केरल सरकार पर हमला
अब कृषि कानूनों को लेकर लगातार एग्रेसिव मोड में आ चुकी केंद्र सरकार ने तुरंत केरल सरकार को घेरने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस की और आरोप लगाया कि वामदल इस आंदोलन के नाम पर केंद्र पर हमला बोल रहे हैं. बीजेपी की तरफ से प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि,
“केरल में लेफ्ट की सरकार किसानों पर घोर अत्याचार कर रही है. किसान के पीछे खड़े होकर लेफ्ट राजनीति करने की कोशिश कर रही है. मोदी जी ने जो कानून बनाया है उसमें तीन दिनों के अंदर किसान को पेमेंट करना होगा, इसके बाद किसान कोर्ट जा सकता है. क्या केरल की सरकार इसके खिलाफ है? केरल में जो कंपनियां खरीद बिक्री करती हैं, उनकी सालों तक पेमेंट लंबित रहती हैं.”
संबित पात्रा ने कहा कि केरल सरकार के खुद के कार्यकर्ता किसानों से खरीद-बिक्री करने बैठे हुए हैं. इसीलिए वो कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. इसके अलावा बीजेपी ने त्रिपुरा का जिक्र किया और कहा कि 2018 से पहले यहां किसानों को एमएसपी नहीं दिया जाता था. बीजेपी की सरकार आते ही वहां किसानों को राहत दी गई.
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