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पर्रिकर की गैरमौजूदगी से सरकार पर असर, कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामने

कांग्रेस का आरोप है कि गोवा में सरकार पूरी तरह से असंवैधानिक तरीके से चल रही है.

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करीब 14 लाख की आबादी और टूरिज्म के हिसाब से अहम गोवा इन दिनों परेशान है और यहां के समंदर में राजनीतिक तूफान की आहट है. राज्य के सेनापति यानी सीएम मनोहर पर्रिकर इलाज के लिए विदेश में होने की वजह से कई अहम मसलों पर फैसला लटका हुआ है. लिहाजा, सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद विपक्ष में बैठी कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोल रही है.

कांग्रेस का आरोप है कि गोवा में सरकार पूरी तरह से असंवैधानिक तरीके से चल रही है. पर्रिकर इलाज के लिए विदेश जाने से पहले जिन 3 वरिष्ठ मंत्रियों की समिति बनाकर गए हैं वो अहम फैसला ही नहीं ले पा रहे हैं. उधर बीजेपी का कहना है कांग्रेस पर्रिकर के सेहत जैसे संवेदनशील मुद्दे को लेकर केवल राजनीति कर रही है.

तो सीएम मनोहर पर्रिकर के राज्य में न होने की वजह से ये अहम काम रुके हुए हैं.

  • बजट: मुख्यमंत्री पर्रिकर के पास राज्य का वित्त विभाग भी है. उनकी सेहत खराब होने की वजह से राज्य का बजट अब तक विधान सभा में पेश नहीं हो सका है. इसका असर अब राज्य में चल रहे विकास के कामों पर दिख रहा है. वहीं, दूसरी ओर कई काम फाइल आगे न बढ़ने की वजह से अटके पड़े हैं. कांग्रेस आरोप है कि पिछले तीन महीनों से कामकाज ठप पड़ा है.
  • टूरिज्म पॉलिसी: गोवा पूरे देश में अपने टूरिज्म के लिए जाना जाता है और देश और विदेश से पर्यटक गोवा में घूमने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन फिलहाल राज्य सरकार टूरिज्म पॉलिसी पर कोई फैसला नहीं ले पा रही है, मसलन गोवा में चलने वाली टैक्सियों पर इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगाने का मामला हो या होटल मालिकों से जुड़े कुछ अहम विषय, पर्रिकर की गैरमौजूदगी में गठित 3 मंत्रियों की समिति टूरिज्म पॉलिसी पर कोई फैसला नहीं ले रही है.
  • माइंस: गोवा की एक और पहचान है यहां मौजूद माइंस और राज्य में रोजगार में बड़ी भमिका रखती है, लेकिन फिलहाल यहां की माइनिंग कारोबार पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद बंद है. जिसकी वजह से कई हाथों से फिलहाल काम छीन गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है की ऑक्शन के बाद माइनिंग की जा सकती है, लेकिन इस अहम मुद्दे पर भी कई ठोस फैसला 3 सदस्यीय समिति नहीं ले सकी है. माइनिंग के विषय में सुप्रीम कोर्ट जा चुके सुदीप तामनकर ने क्विंट को बताया की मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार पूरी तरह राज्य मुख्यमंत्री पर्रिकर है,और अगर इस विषय पर कोई जल्द फैसला नहीं हुआ तो राज्य में मुश्किल और बढ़ सकती है .
  • सरकारी भर्ती राज्य का युवा जिस सरकारी नौकर भर्ती के शुरू होने की आस लगाए बैठा है, उससे भी फिलहाल निराशा ही हाथ लग रही है. वास्को के रहने वाले 25 साल के मोहम्मद शेख ग्रेजुएट हैं, पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्हें उम्मीद थी की वे सरकारी भर्ती शुरू होगी तो पुलिस विभाग के लिए आवेदन भरेंगे, लेकिन फिलहाल तो सरकारी नौकरी भर्ती राज्य में शुरू नहीं हो सकी है. मोहम्मद वास्को बस स्टैंड पर अपनी छोटी सी दुकान चला रहे हैं और इन्हीं से उनका घर परिवार चल रहा है.

कांग्रेस क्यों हावी है?

इन सारे मुद्दों को भुनाने का कांग्रेस के पास बड़ा मौका है, क्योंकि बीजेपी और राज्य के सबसे बड़े चेहरे पर्रिकर, पार्टी के सामने नहीं हैं. ऐसे में कांग्रेस के पास सत्ता वापसी का मौका भी है, क्योंकि अगर किसी स्थिति में पर्रिकर को इस्तीफा देना पड़ता है तो सरकार गिरना तकरीबन तय है, क्योंकि दूसरे दल पर्रिकर के अलावा किसी और चेहरे पर अपना समर्थन नहीं देंगे. आपको याद होगा कि यही वजह थी कि उन्हें रक्षा मंत्री के पद छोड़कर राज्य की कमान संभालने आना पड़ा था.

गोवा की मौजूदा राजनीतिक स्थिति

2017 के विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को गोवा में बहुमत नहीं मिल सका. कांग्रेस सबसे ज्यादा 18 सीट जीतकर सिंगल लार्जेस्ट पार्टी बनी, लेकिन बावजूद इसके गोवा में कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो पाई. गोवा में फिलहाल बीजेपी के नेतृत्व वाली गठबंधन की सरकार चल रही है. 40 सीटों वाली गोवा विधानसभा में बीजेपी के 14 विधायक हैं, 3 महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, 3 गोवा फॉरवर्ड और 2 निर्दलीय विधायकों यानी 22 लोगों की गठबंधन सरकार चल रही है.

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