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गुजरात में ये सीट है ‘सत्ता की चाबी’, जीतने वाले की बनती है सरकार

1975 से वलसाड सीट जीतने वाली पार्टी की ही सरकार बनी है

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इन दिनों जब गुजरात चुनाव की सरगर्मी तेज है, वहां की सबसे 'हॉट सीट' के बारे में दिलचस्पी लाजिमी है. गुजरात की 182 सीटों में से सबसे खास है वलसाड विधानसभा सीट. इसे राज्य में ‘सत्ता की चाबी’ के रूप में देखा जाता है.

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सीट का दिलचस्‍प इतिहास

गुजरात में ऐसा कहा जाता है कि जिस पार्टी ने ‘वलसाड’ जीता, गांधीनगर पर उसी का कब्जा. हो सकता है कि ये एक मिथ जैसा हो, लेकिन इस सीट का इतिहास कुछ ऐसा ही रहा है.

पिछले 42 साल में राज्य में जितने भी विधानसभा चुनाव हुए हैं. उनमें इस सीट से जीत दर्ज करने वाली पार्टी की ही सरकार बनी है या फिर उस पार्टी की मदद से सरकार बनी है. 1975 से ये सिलसिला चलता आ रहा है. हमेशा यहां के विधायक सत्ता में होते हैं.

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साल 1975 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के केशवभाई रतनजी पटेल ने यहां से जीत दर्ज की. उस समय कांग्रेस ने गठबंधन की सरकार बनाई और बाबू भाई पटेल राज्य के सीएम बने. 1980 में कांग्रेस के दौलतभाई नाथूभाई देसाई ने इस सीट पर कब्जा किया और राज्य में कांग्रेस को सरकार बनाने में कामयाबी मिली. 1985 में कांग्रेस ने इस सीट से बरजोरजी पारडीवाला को उतारा. वलसाड में जीत के साथ-साथ कांग्रेस की राज्य में सत्ता कायम रही.
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1990 से बीजेपी का एकछत्र राज

1990 में दौलत देसाई ने बीजेपी की टिकट पर किस्मत आजमाते हुए वलसाड को अपनी मुट्ठी में किया. राज्य में बीजेपी-जनता दल गठबंधन की सरकार बनी. 1995 में एक बार फिर से दौलत देसाई ने बीजेपी की टिकट पर इस सीट पर कब्जा किया और केशुभाई पटेल के नेतृत्व में गुजरात में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी.

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साल 1998, 2002 और 2007 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के दौलत देसाई ने इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा और गुजरात में बीजेपी की सत्ता बनी रही. 

2012 में बीजेपी ने दौलत देसाई की जगह भरतभाई कीकूभाई पटेल को वलसाड के चुनावी मैदान में उतारा. उन्होंने वलसाड को फतह करने में कामयाबी हासिल की.

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भरत पटेल Vs नरेंद्र टंडेल के बीच होगा रोचक मुकाबला

2012 के विधानसभा चुनाव में, इस सीट पर बीजेपी के भरतभाई कीकूभाई पटेल ने 93658 वोटों के साथ जीत हासिल की. उन्होंने कांग्रेस के धर्मेश पटेल को 35,999 के बड़े अंतर से हराया था. राज्य बीजेपी में भरत पटेल की अच्छी पकड़ है और अपने विधानसभा इलाके में भी उनकी ठीक-ठाक छवि है. ऐसे में बीजेपी ने इस बार फिर से उन पर दांव लगाया है.

वहीं पिछली हार से सबक लेते हुए कांग्रेस ने इस चुनाव में धर्मेश पटेल की जगह नरेंद्र जे टंडेल को टिकट दिया है. नरेंद्र की इलाके के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में अच्छी पकड़ मानी जाती है. ऐसे में कांग्रेस उनके सहारे ‘सत्ता की चाबी’ वलसाड को जीतने के साथ-साथ राज्य की सत्ता में वापसी करने की तैयारी में है.
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अब देखना ये है कि इस सीट के तमाम मतदाता 9 दिसंबर को किसके पक्ष में वोट डालते हैं. 18 दिसंबर को ये साफ हो पाएगा कि 'सत्ता की चाबी' का तिलिस्म कायम रहता है या यह मिथ टूटता है.

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